मेवाड़ में 6 से 60 साल तक की महिलाएं चलाती हैं तलवार, सालों पुरानी परंपरा को निभाते हुए 360 वीरांगना हुई तैयार

राजस्थान में मेवाड़ की महिलाएं अपने शौर्य और वीरता की परंपरा को जीवित रखते हुए तलवारबाजी का प्रशिक्षण ले रही हैं. उदयपुर के अजब सेवा संस्थान द्वारा संचालित इस पहल में अब तक 360 महिलाएं प्रशिक्षण पूरा कर चुकी हैं. यहां 6 साल की बच्चियों से लेकर 60 साल की महिलाएं इसमें हिस्सा ले रही हैं. 

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तलवार चलाती हुई महिलाएं.

Rajasthan News: राजस्थान का मेवाड़, जिसका नाम आते ही शौर्य, त्याग और बलिदान जैसे शब्द सामने आते हैं. क्योंकि महाराणाओं ने भूमि की रक्षा के लिए दुश्मनों को लोहा मनवाया. वहीं यहां की क्षत्राणियां के भी ऐसे भी कई उदाहरण है. ऐसा ही शौर्य महिलाओं में पीढ़ी में भी देखने को मिल रहा है.

वहीं अब भी उदयपुर की महिलाएं तलवारबाजी का प्रशिक्षण ले रही है. जी हां, अब तक 360 महिलाएं इस प्रशिक्षण को पूरा कर चुकी है और धार्मिक सहित कई कार्यक्रमों में तलवार का प्रदर्शन भी कर चुकी है. कोई युवती आंख बंद कर तलवार चलाती है तो कोई बच्ची स्केटिंग करते हुए प्रदर्शन करती है. 6 साल की बच्चियों से लेकर 60 साल की महिलाएं प्रशिक्षण ले चुकी है. यह प्रशिक्षण उदयपुर के यूनिवर्सिटी रोड स्थित अजब सेवा संस्थान द्वारा करवाया जा रहा है.

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360 महिलाओं ने किया प्रशिक्षण पूरा

अजब सेवा संस्थान के महासचिव अमित पोरवाल ने बताया कि पिछले 4 साल से आत्मरक्षा, संगीत और नृत्य के साथ 6 साल की बच्चियों से 60 साल तक की महिलाओं को सिखा रहे हैं. इसे आत्मरक्षा के साथ संगीत और कला से जोड़ा गया है. इसका संदर्भ देखा जाए तो मेवाड़ का इतिहास बहुत पुराना है.

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शौर्य और वीरता का मेवाड़ जहां महाराणाओ ने गुलामी स्वीकार नहीं की और दुश्मनों को लोहा मनवाया. इसी शौर्यता को जीवित करने के लिए यह आत्मरक्षा सिखाई जा रही है. इसकी शुरुआत गणगौर घाट पर एक कार्यक्रम से हुए थी जो आज यहां तक पहुंच गया है.

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प्रतिभाशाली महिलाएं दे रहीं मिसाल

अजब सेवा संस्थान में जब से तलवार प्रशिक्षण की शुरुआत हुई है तब से ही वेदांशी इससे जुड़ी हुई है. वेदांशी ने बताया कि तलवार चलाने की शुरुआत 4 साल पहले की थी. मेरे सीखने का मुख्य उद्देश्य सेल्डिफेंस था. क्योंकि हर एक महिला और युवती अपना सेल्फ डिफेंस कर सके और मुसीबत में फंसी किसी अन्य की मदद कर सके है. कई जगहों पर महिलाओं से जुड़े अपराध सामने आते हैं. ऐसे में इसकी जरूरत सबसे ज्यादा है.

आत्मरक्षा के साथ कला का संगम

खुशी रामेजा एक मात्र ऐसी युवती है जो आंखों पर पट्टी बांधकर तलवारबाजी का प्रदर्शन करती है. खुशी ने बताया कि 4 साल पहले ही तलवार चलाना शुरू किए थे. इसके बाद आंखों पर पट्टी बांधकर तलवार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया. खुशी ने यह तक बताया कि 7 साल से मेडिटेशन कर रही हैं और ना सिर्फ आंखों पर पट्टी बांधकर तलवार चला सकती है बल्कि आत्मरक्षा भी कर सकती है.

7 साल की बच्ची चलाती है तलवार

संस्थान में प्रशिक्षण लेने के लिए ऐसी बच्ची भी आती है जो स्केटिंग करते हुए तलवार का प्रदर्शन करती है. पलक कुमारी 7 साल की है और उन्होंने कहा कि कई साल से स्केटिंग कर रही हूं और उसके बाद अभी को तलवार चलते देख मैने भी प्रशिक्षण लेने की सोचा. अब स्केटिंग के साथ तलवार चलाती हूं.

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