Rajasthan: राजस्थान विधानसभा में गतिरोध बरकरार है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संग्राम छिड़ने के बाद स्पीकर वासुदेव देवनानी पर भी कांग्रेस ने आरोप लगाए हैं. विपक्ष का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष ने मर्यादा का ध्यान नहीं रखा. वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ (Madan Rathore) ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा, "सदन में बजट प्रस्तुत होने के बाद कांग्रेस ने खासकर इनके प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जो वातावरण बनाया है, उससे लोकतंत्र शर्मसार हुआ है. डोटासरा सदन को चलने नहीं देना चाहते हैं, सदन को हाईजैक करना चाहते हैं, जो संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि वे नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को भी बोलने का मौका नहीं देते हैं. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली असहाय दिख रहे हैं"
सदन लोकतांत्रिक व्यवस्था से ही चलेगा- राठौड़
राठौड़ ने कहा कि "सदन लोकतांत्रिक व्यवस्था से ही चलेगा. सबसे बड़ी बात तो यही है कि डोटासरा विधानसभा अध्यक्ष के आसन तक पहुंचे. उन्होंने वहां पहुंचकर जो आचरण किया उससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है. डोटासरा ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिन्हें दोहराना भी उचित नहीं हैं."
इस दौरान उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे, तब उनकी अपने उपमुख्यमंत्री से लड़ाई चलती रहती थी. आपसी लड़ाई में विधायक होटलों में रहे, उन्हें तो सरकार चलाने का समय ही कब मिला. गहलोत सरकार में पुलिस मजबूर थी, आज मजबूत है.
डोटासरा का सवाल- डायस पर तो 3 सदस्य गए थे, 6 का निलंबन क्यों?
वहीं, डोटासरा ने भी बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार के मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को लेकर अशोभनीय टिप्पणी की. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने टिप्पणी को विधानसभा की कार्यवाही से निकालने की मांग की. जब मांग नहीं मानी गई तो वे डायस पर गए और उन्होंने मंत्री की ओर इंगित करते हुए टिप्पणी को कार्यवाही से हटाने की प्रार्थना की. पीसीसी चीफ का सवाल है कि अचानक क्या खयाल आया कि विधानसभा अध्यक्ष उठकर जाने लगे और फिर विधानसभा स्थगित कर गए.
उन्होंने कहा कि पन्द्रह मिनट बाद जब विधानसभा अध्यक्ष ने चैम्बर में बुलाया तो बिना कोई बात किए सीधे ही माफी मांगने को कहा. डोटासरा के मुताबिक, "स्पीकर से निवेदन किया गया कि विपक्ष ने केवल टिप्पणी हटाने की मांग की है, यह आक्रोश केवल मंत्री के बयान पर व्यक्त किया गया है. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने 6 विधायकों को बजट सत्र के लिए निलम्बित कर दिया, जबकि डायस पर तो केवल 3 ही सदस्य गए थे."
बिना सदस्य की मौजूदगी में स्पीकर ने कैसे की टिप्पणी?
साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि विधानसभा की कार्यवाही में वर्णित तथ्यों का कोई रिकॉर्ड नहीं, कोई वीडियो या ऑडियो नहीं और ना ही प्रमाणित है. उसका हवाला देते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने जिस प्रकार सदन चलाते हुए उनके विरूद्ध गैर वाजिब और गलत टिप्पणियां की है. वो भी तब सदन के सदस्य का अधिकार होता है, उसकी गैर मौजूदगी में सदस्य के विरूद्ध बिना नोटिस दिए कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती. इस तरह की टिप्पणियां करने से सदन की मर्यादा तार-तार हो गई जो कि स्वयं विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मर्यादा का ध्यान नहीं रखने के कारण हुई है.
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