Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान की जीवन दायनी कही जाने वाली इन्दिरा गांधी नहर की हालत इन दिनों बड़ी अजीब सी है. इन दिनों नहर में मन-मुआफिक तरीके से पीने और सिंचाई का पानी एक साथ नहर में छोड़ा जा रहा है. एहम बात ये है कि इसके लिए नहर विभाग ने चक्रीय कार्यक्रम भी तय नहीं किया है. हैरत की बात यह भी है कि राजस्थान को पौंग डैम (Pong Dam) से जो 49 प्रतिशत पानी का हिस्सा मिलता है, उसे मार्च तक पूरा खर्च किया जा चुका है. जबकि कई इलाकों में अभी कपास की बिजाई का वक्त है. अभी विभाग अतिरिक्त पानी ले रहा है. लेकिन ये कब तक मिलेगा, ये तय नहीं है.
7 दिन से मिल रहा ज्यादा पानी
चक्रीय कार्यक्रम जारी करते ही दो महीनों तक पूरा पानी सप्लाई करने पड़ेगा. बीते एक सप्ताह से हरिके बैराज (Harike Pattan Barrage) से 5 से 9 हजार क्यूसेक पानी मिल रहा है, जबकि तीन हजार क्यूसेक तय था. तीन हजार क्यूसेक से पूरे पश्चिमी राजस्थान की प्यास बुझाई जा सकती है. लेकिन पिछले एक सप्ताह से पानी ज्यादा आ रहा है. इसकी असल वजह हनुमानगढ़ जोन के चीफ इंजीनियर का भाखड़ा-व्यास मैनेजमेंट बोर्ड से लेकर पंजाब तक गुहार लगाना है. अपनी कोशिशों से वे पानी ले आए और उसे कई नहरों में छोड़ दिया.
रेगुलेशन का प्रोपोजल नहीं
ये वक्त कपास की बिजाई का है. हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में कपास ज्यादातर बोया जाता है. इसलिए ज्यादातर पानी का इस्तेमाल वहीं हो रहा है. इसलिए किसान भी ऐसे समय में ज्यादा मिले पानी का इस्तेमाल कर खुश हैं. हालांकि किसान ये चाह रहे हैं कि जब नहर विभाग को इतना पानी मिल ही रह है तो क्यूं ना विभाग रेगुलेशन जारी कर दे. लेकिन नहर विभाग के अधिकारी इससे बचना चाह रहे हैं. इसलिए अब तक सीएडी कमिश्नर के पास रेगुलेशन का कोई प्रोपोजल नहीं आया है. वैसे रेगुलेशन जारी किए जाने जैसे हालात भी नहीं है. क्यूंकि उसके लिए स्थाई तौर पर पानी दिए जाने का वादा मिलना जरूरी है.
'अभी ये राहत स्थाई नहीं'
हनुमानगढ़ के जोनल चीफ इंजीनियर अमरजीत मेहरड़ा का कहना है कि थोड़ी सी कोशिश करने बाद पानी ज्यादा तो मिला है, लेकिन ये स्थाई नहीं है. जब तक पानी की मांग स्थाई रूप से पूरी नहीं होती, तब तक रेगुलेशन मुमकिन नहीं है. एक दिन पहले 9 हजार क्यूसेक पानी मिला था, जो अब सिर्फ पांच हजार क्यूसेक रह गया है. कुछ नहरों में छोड़ा है और कुछ भाखड़ा से मांग आ जाने के कारण वहां भी देना पड़ेगा.
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