Rajasthan Electricity: किसी भी देश एवं प्रदेश के आर्थिक विकास में बिजली एक महत्वपूर्ण घटक है. बिजली के बिना विकास की संकल्पना को साकार रूप दे पाना संभव नहीं है. ऐसे में किसी भी सरकार के लिए यह जरूरी हो जाता है कि एनर्जी सेक्टर को बढ़ावा दिया जाए ताकि उद्योग-धंधों एवं आर्थिक गतिविधियों को गतिशील रखने के लिए बिजली की भरपूर उपलब्धता सुनिश्चित हो. साथ ही, किसानों एवं घरेलू उपभोक्ताओं को उनकी जरूरत के अनुरूप 24 घंटे निर्बाध बिजली मिल सके. सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में विद्युत के बढ़ते महत्व को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेश की बागडोर संभालने के साथ ही बिजली के क्षेत्र में राजस्थान को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिशन मोड पर काम शुरू किया. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मात्र 6 माह से भी कम समय में राज्य सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र में दूरदर्शी सोच के साथ ऐसे अभूतपूर्व फैसले लिए हैं जिनसे आने वाले समय में राजस्थान एनर्जी सरप्लस स्टेट के रूप में उभरेगा.
चार सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटन
मुख्यमंत्री ने हाल ही में 4 सोलर प्रोजेक्ट के लिए भूमि आवंटन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसके अंतर्गत बीकानेर जिले में 2450 मेगावाट के 3 सोलर पार्क बनाए जाएंगे जिससके लिए राजस्थान सोलर पार्क डेवलपमेंट कंपनी को 4780 हेक्टेयर भूमि आवंटित की जाएगी. इसी तरह फलौदी जिले में एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी को 500 मेगावाट के एक सोलर प्रोजेक्ट के लिए 910 हेक्टेयर भूमि आवंटन को मंजूरी दी गई है.
पर्यावरण संरक्षण में योगदान
ये सोलर प्रोजेक्ट्स पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएंगे और सालाना लगभग 2 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. इन परियोजनाओं से प्रदेश में लगभग 10 हजार करोड़ का निवेश होने का अनुमान है. भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अनुमोदित होने से इन परियोजनाओं को 33 प्रतिशत अनुदान मिलेगा.
परियोजनाओं पर तेजी से चल रहा काम
प्रदेश को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 10 मार्च को मुख्यमंत्री कार्यालय में राज्य के 3 विद्युत निगमों एवं कोल इंडिया, NTPC, सतलज जल विद्युत निगम, एनएलसी इंडिया, एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी, पावर ग्रिड तथा आरईसी जैसे केन्द्रीय उपक्रमों के मध्य कुल 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए के 5 सहमति पत्रों तथा एक पावर परचेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए. राज्य में आने वाले समय में तापीय और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से 31 हजार 825 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन संभव होगा. इनमें से 3 हजार 325 मेगावाट की थर्मल परियोजनाएं हैं तथा 28 हजार 500 मेगावाट की परियोजनाएं नवीकरणीय ऊर्जा आधारित हैं.
14 ग्रिड सब-स्टेशन
वर्तमान सरकार के 6 माह से भी कम समय के कार्यकाल में 132 केवी के 13 और 220 केवी के 1 ग्रिड सब-स्टेशन का काम पूरा कर लिया गया है. इसके तहत कारोई (भीलवाड़ा), सरवाड़ (केकड़ी), पीपलाज (अजमेर), सोनियाणा (चित्तौड़), बौंली (सवाई माधोपुर), रसीदपुरा (सीकर), धावा (नागौर), खोखा (जालोर), नारेहड़ा (कोटपूतली-बहरोड़), लक्ष्मण डूंगरी (जयपुर), सीकरी (डीग), रायथल (बूंदी) तथा प्रभातनगर (हनुमानगढ़) में 132 केवी जीएसएस तथा सिरोही के रेवदर में 220 केवी जीएसएस स्थापित कर दिए गए हैं.
अन्य राज्यों पर निर्भरता खत्म होगी
इन परियोजनाओं से उत्पादन प्रारंभ होते ही राजस्थान बिजली के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा और रबी सीजन में कृषि क्षेत्र की मांग को पूरा करने के लिए बिजली के लिए अन्य राज्यों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. इसके अतिरिक्त गर्मी के सीजन में पीक डिमांड को पूरा करने के लिए एनर्जी एक्सचेंज से भी महंगी बिजली नहीं खरीदनी पड़ेगी. इसके साथ ही, वर्ष 2023-24 के रबी सीजन में कृषि क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करने के लिए वर्ष 2023 में 1 लाख 45 हजार मेगावाट से अधिक बिजली विभिन्न राज्यों से उधार ली गई जिसे गर्मी की पीक डिमांड के बावजूद प्रदेश को आगामी सितंबर माह तक इन राज्यों को चुकानी पड़ रही है.
17.39 लाख किसानों को होगा लाभ
इन परियोजनाओं के पूरा होने से खेती के महीनों में किसानों की बिजली की मांग को पूरा किया जा सकेगा. राज्य में तीनों वितरण कंपनियों के माध्यम से कृषि उपभोक्ताओं की संख्या 17 लाख 39 हजार से अधिक है.
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