Rajasthan Politcs: बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की किताब का विमोचन रविवार को जयपुर के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुआ. पूनिया ने इस किताब के 200 पन्नों में 15 विषयों पर अपनी बात रखी है. इसमें एक दिन के नेता प्रतिपक्ष से लेकर विधानसभा में कामकाज के अपने अनुभव, प्राइवेट मेंबर बिल, 50 असरदार विधायकों के सर्वे से लेकर कोविड, लॉकडाउन, किसान कर्ज और नागरिकता संशोधन अधिनियम तक का जिक्र है. लेकिन इसमें एक रोचक पन्ना तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर भी लिखा है. पूनिया ने इस अध्याय का नाम दिया है, विश्वास प्रस्ताव - संकट 'विश्वास' का.
''बेवफा तेरा यूं मुस्कुराना, भूल जाने के काबिल नहीं है''
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के कैरी कैचर से इस पन्ने की शुरुआत की, तो साथ ही उस गीत का जिक्र भी किया, जो कांग्रेस की बाड़ेबंदी से आई तस्वीर में दिख रहा था. गीत के बोल थे - ' बेवफा तेरा यूं मुस्कुराना, भूल जाने के काबिल नहीं है.' पूनिया ने लिखा, 'शायद यह पहली सरकार होगी, जो बात तो लोकतंत्र और नैतिकता की कर रही थी, लेकिन लगभग एक महीने से बाड़े से चल रही थी'.
''सरकार दो खेमों में बंटी हुई थी''
पूनिया ने इस चैप्टर में लिखा, ''तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त 2020 को, अपनी ही सरकार पर, अपने ही लोगों द्वारा पैदा किए गए अविश्वास को दूर करने के लिए सदन में विश्वास प्रस्ताव रखा गया. उन्होंने कहा कि आमतौर पर होता यह है कि सरकार में विश्वास खत्म होने पर, विपक्ष सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव लाता है और उसमें सरकार को जीतना होता है, लेकिन उस समय मामला एकदम विपरीत था. पूनिया ने कहा कि, इस सारे प्रकरण का इतिहास यह था कि सरकार दो खेमों में बंटी हुई थी.''
''राज्यपाल के खिलाफ भी दबाव डालने की राजनीति की गई''
''एक गहलोत गुट और दूसरा पायलट गुट. पूनिया के शब्दों में सचिन पायलट बगावत कर चुके थे. उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके थे. जैसे–तैसे करके मामला ऊपरी तौर पर रफा–दफा हुआ था और सरकार एक महीने की बाड़ेबंदी से बाहर निकलकर सदन में पहुंची थी. पूनिया यहां लिखते हैं कि, मुख्यमंत्री की ओर से अपनी ताकत का प्रदर्शन करने और बाकियों तक एक संदेश पहुंचाने के मकसद से सदन में यह विश्वास प्रस्ताव लाया गया था. पूनिया ने लिखा कि, इसके लिए राज्यपाल के खिलाफ भी दबाव डालने की राजनीति की गई थी.''
''एक महीने से सरकार बड़े से चल रही थी''
पूनिया ने लिखा,"...34 दिन में पांच फिल्में रिलीज हुईं. बाड़ाबंदी एक बाड़ाबंदी दो, बाड़ाबंदी तीन, बाड़ाबंदी चार और पांचवीं बाड़ाबंदी, जिस तरीके से राजस्थान की जनता ने बहुत सारे दृश्य इस दौरान देखे. फेयरमोंट की इटेलियन डिश, क्रिकेट, अन्ताक्षरी, लेकिन इस दौरान ऐसी चीखें भी थीं, जिसमें गैंगरेप की, कोरोना मौतों की थीं. अफसोस हुआ और
शायद यह पहली सरकार होगी जो बात तो लोकतंत्र और नैतिकता की कर रही थी, लेकिन लगभग एक महीने से सरकार बड़े से चल रही थी.''
राजस्थान का जुगाड़ मशहूर है और उस जुगाड़ के लिए जादूगर भी
पूनिया ने आगे लिखा, ''....आप दम्भ भरते हो जनमत का, 2008 में भी यही दृश्य था और 2018 में भी यहीं. राजस्थान का जुगाड़ मशहूर है और उस जुगाड़ के लिए जादूगर भी मशहूर है. 2008 और 2018 में आपने किस तरीके से उस बीएसपी की पूरी की पूरी पार्टी को, आप कभी बकरा मंडी बताते हो, कभी हॉर्स ट्रेडिंग करते हो, आप तो पूरे के पूरे हाथी गटक गये. पूरे-पूरे एलीफैंट. एलीफैंट ट्रेडिंग का कोई आविष्कारक है तो, श्रीमान आप हैं...."
''... केवल प्रधानमंत्री जी पर, केवल गृह मंत्री जी पर और केवल भारतीय जनता पार्टी को आरोपित करके आप अपने पापों से छुप नहीं सकते. आप उन पापों को ढंक नहीं सकते. इस तरीके के सहकारी संघवाद का नारा लेकर, आप ही ने कहा था कि 8 करोड़ राजस्थान की जनता राजभवन को घेर लेगी, आपके पास उस बात का जवाब है...?"
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