राज्यसभा के लिए राठौड़ और पूनिया को मौके की उम्मीद, लेकिन बीजेपी कर रही इस समीकरण को साधने की तैयारी

राजस्थान में एक सीट पर राज्यसभा उपचुनाव होना है. इस एक सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी है. ऐसे में कई बड़े नामों की चर्चा के साथ जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग शुरू हो गई है.

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Rajya Sabha Election Rajasthan: देश में 12 राज्यसभा सीटों पर चुनाव का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. वहीं इन 12 सीटों में से एक सीट पर उपचुनाव राजस्थान में भी होना है. यह सीट वैसे तो कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल को लोकसभा में जाने से खाली हुई है. लेकिन विधानसभा के गणित के हिसाब से अब यह सीट बीजेपी के पाले में जाने वाली है. ऐसे में सियासी चर्चा तेज हो गई है. आंकड़ों के लिहाज से बीजेपी का पलड़ा भारी है तो अब चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि किस नेता को मौका मिलेगा. इसमें कई बड़े नामों की चर्चा के साथ जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग शुरू हो गई है. 

हालांकि बीजेपी राज्यसभा उपचुनाव के जरिए समीकरण साधने की तैयारी में है. कहा जा रहा है कि इसमें कुछ ऐसे नेताओं के नाम की चर्चा है जो कद्दावर नहीं है लेकिन वह जातिगत समीकरण, संगठन के लिहाज़ से और संघ की पृष्ठभूमि के तौर पर इनके नाम पर भी गंभीरता से विचार हो रहा है.

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SC, ST और OBC वर्ग के इन नेताओं की चर्चा

लोकसभा चुनाव 2024 में 11 सीटें हारने के बाद राजस्थान में बीजेपी SC, ST और OBC वर्ग पर ज्यादा फोकस है. इस लिहाज से राज्यसभा की सीट इन वर्गों के नेताओं को मौका मिल सकता है. टिकट को लेकर भाजपा की ओर से करवाए गए सर्वे में किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा का नाम भी शामिल है. बीजेपी किरोड़ी लाल मीणा को भी राज्यसभा में भेज चुकी है. हालांकि फ़िलहाल किरोड़ी लाल मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे चुके हैं. लोकसभा चुनाव में किरोड़ी लाल ने जगमोहन के लिए टिकट की पैरवी की थी लेकिन टिकट नहीं मिल पाया था. इसके अलावा दो साल से भाजपा के पूर्व विधायक नंदलाल बंशीवाल के नाम की भी चर्चा है. इसके अलावा ओबीसी से अलका गुर्जर, विजय बैंसला प्रभुलाल सैनी के नाम पर भी विचार किया जा रहा है.

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जाट के भी बड़े नेताओं के नाम की भी चर्चा

बीजेपी की तरफ़ से जिन बड़े नामों को लेकर चर्चा की जा रही है उनमें जाट चेहरे के लिहाज़ से देखा जाए तो सबसे बड़ा नाम सतीश पूनिया का ही है. लोक सभा चुनाव में जाट वोट बैंक खिसकने से भाजपा को बड़ा नुक़सान हुआ था. सतीश पुनिया के तौर पर इसकी भरपाई की जा सकती है. वहीं सतीश पूनिया के अलावा राजेंद्र राठौड़ को भी मौके की उम्मीद है. पूनिया और राठौड़ दोनों ही नेता विधानसभा चुनाव 2023 में हार चुके हैं. हालांकि पूनिया को पार्टी ने हरियाणा का प्रभारी बनाया है. जबकि राजेंद्र राठौड़ को फिलहाल कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है. अनुभव के हिसाब से यह दोनों ही नेता राज्यसभा के लिए मजबूत दावेदार हैं. 

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उच्च वर्ग में एक नेता के नाम की हो रही चर्चा

ब्राह्मण CM के अलावा पहले से राज्यसभा में गये घनश्याम तिवारी के चलते इस बात की संभावनाएं बहुत कम है कि फिर से किसी ब्राह्मण नेता को राज्यसभा को भेजा जाए. हालांकि बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी के नाम को लेकर भी चर्चाएं चल रही है.

आपको बता दें, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के लोक सभा चुनाव जीतने के बाद राजस्थान की राज्यसभा की सीट ख़ाली हो गई है. आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस का पलड़ा बहुत कमज़ोर है. क्योंकि राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए उम्मीदवार को 99 वोट चाहिए और बीजेपी के पास 115 विधायक जबकि कांग्रेस के पास 66 विधायक हैं. ऐसे में हो सकता है कांग्रेस की तरफ़ से कोई नामांकन नहीं हो. इस लिहाज़ से बीजेपी के कई नेताओं ने इस सीट को लेकर जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग शुरू कर दी है. एक बात यह भी है कि यह उपचुनाव है और जो भी सदस्य होंगे उनका कार्यकाल जून 2026 तक ही होगा.

चुनाव के लिए 14 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 21 अगस्त तक नामांकन दाख़िल किए जा सकते हैं. 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 27 अगस्त  तक नामांकन वापस लिए जाएंगे और 3 सितंबर को वोटिंग का दिन तय किया गया है. राजस्थान से राज्यसभा की दस सीटें हैं.   5 सीटों पर कांग्रेस और 4 पर बीजेपी के सांसद हैं. एक सीट पर चुनाव होना है.

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