Rajkumar Roat: राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में सात सीटों पर परिणाम सामने आ चुके हैं. सात विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने 5 सीट जीत कर बढ़त बनाई है. वहीं कांग्रेस को 3 सीट का नुकसान हुआ है और एक सीट पर जीत हासिल की है. वहीं BAP ने अपनी एक सीट बचाने में कामयाब हुई है. जबकि RLP जिसके पास एक विधानसभा सीट थी वह भी खो चुकी है. हालांकि BAP को दो सीट पर जीत की उम्मीद थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. BAP चौरासी और सलूंबर सीट पर चुनाव मैदान में थी. सलूंबर सीट पर जितेश कटारा शुरू से बढ़त बनाए थे लेकिन लास्ट राउंड में महज 1285 वोटों से उनकी हार हुई. ऐसे में अब राजकुमार रोत ने सवाल खड़ा किया है.
राजकुमार रोत अब चुनाव आयोग में शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं. राजकुमार रोत ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने सलूंबर में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर सलूंबर सीट जीतने की कोशिश की है.
सलूंबर सीट पर रिकाउंटिंग की मांग
राजकुमार रोत ने सलूंबर सीट पर वोटों की फिर से गिनती यानी रिकाउंटिंग की मांग की है. सांसद राजकुमार रोत ने बताया कि सलूंबर विधानसभा सीट में बीएपी के उम्मीदवार जितेश कटारा लगातार आगे चल रहे थे. अंतिम से चार राउंड में जिला निर्वाचन अधिकारी की लापरवाही से रिजल्ट में देरी हुई है. इसके लिए हम रिकाउंटिंग की मांग कर रहे है. रोत ने कहा, भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी द्वारा समय पर रिकॉउंटिंग के लिये अप्लाई करने के बावजूद भी संबंधित अधिकारी रिकॉउंटिंग नहीं करवा रहे हैं. यदि गड़बड़ी नही हुई है तो रिटर्निंग अधिकारी को रिकॉउंटिंग करवाने में क्या समस्या आ रही है ?
चौरासी सीट पर जनता ने बीजेपी को नकारा
राजकुमार रोत ने चौरासी सीट पर जीत को लेकर कहा है कि बीएपी ने यहां इतिहास रचा है. राज्य में सत्ता होने के बावजूद बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. हालांकि बीजेपी ने यहां जीत के लिए सरकारी मशीनरी का उपयोग कर जीतने की कोशिश की थी. लेकिन सफल नहीं हो पाए. सीएम और प्रदेश अध्यक्ष समेत दिग्गज नेताओं ने यहां ताकत झोंकी, बाबूलाल खराड़ी खुद चौरासी में लगातार संपर्क कर रहे थे. लेकिन इसके बावजूद जनता ने बीजेपी को नकार दिया है. रोत ने पुलिस-प्रशासन पर भी आरोप लगाया कि बीजेपी को जीत दिलाने के लिए पूरा कार्य किया केवल बीजेपी का पट्टा ही गला में नहीं डाला था. लेकिन जनता ने BAP का साथ दिया.
चौरासी में क्यों हारी बीजेपी-कांग्रेस
चौरासी में बीएपी की जीत का सबसे बडा फैक्टर बीजेपी और कांग्रेस का अंर्तकलह था. जहां कांग्रेस पिछले दस साल से बिखरी हुई होने के कारण लगातार चुनाव हार रही है. वहीं भाजपा भी संगठन में लगतार फेरबदल होने के कारण भीतरघात से परेशान हैं. बीजेपी के जिलाध्यक्ष हरिश पाटीदार और संगठन के अंदर खींचतान का परिणाम है कि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा हैं. चौरासी में टीएडी मंत्री बाबुलाल खराडी खुद मान रहे थे कि बीजेपी जिलाध्यक्ष के पक्षपात रवैया के कारण संगठन लगातार कमजोर हो रहा है. इसी के कारण चुनाव में कई बड़े पदाधिकारी चौरासी से दूर दिख रहे थे. पूरा चुनाव प्रदेश से नियुक्ति प्रभारी और सह प्रभारी के भरोसे चल रहा था.
इसके अलावा कांग्रेस भी इसी फुट के कारण जमानत जब्त हो गई. प्रदेश आलाकमान जहां बीएपी से गठबंधन के पक्ष में था. वहीं स्थानीय स्तर पर गठबंधन को लेकर विरोध था. इसी के कारण कांग्रेस दो धड़ों में बटी हुई थी. चुनाव में कोई प्रदेश स्तरीय नेता प्रसार-प्रचार करने नहीं आया. सारा चुनाव डूंगरपुर विधायक गणेश घोगरा के भरोसे लड़ा गया.
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