Kirodi Lal Meena Reaction: राजस्थान के सात विधानसभा सीटों में उपचुनाव का रिजल्ट में बीजेपी को बड़ी जीत मिली है. बीजेपी ने सात में 5 सीटों पर जीत हासिल की है. लेकिन सात सीटों में सबसे बड़ी सीट दौसा विधानसभा सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई है. दौसा विधानसभा सीट पर हार से सबसे बड़ा नुकसान किरोड़ी लाल मीणा को हुआ है. जहां उनके छोटे भाई जगमोहन मीणा चुनाव मैदान में थे. भाई को जीत दिलाने के लिए किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. लेकिन इसके बावजूद दौसा सीट किरोड़ी लाल मीणा के हाथ से निकल गई. वहीं किरोड़ी लाल मीणा ने दौसा में हार के बाद अपनी प्रतिक्रिया भी दी है और इसके साथ अपना दर्द भी बयां किया है.
दौसा विधानसभा सीट किरोड़ी लाल मीणा के राजनीतिक प्रतिष्ठा से जुड़ी थी. वहीं अपने भाई जगमोहन मीणा को जीताना उनका सबसे बड़ा लक्ष्य था जिसके जरिए वह अपने भाई का ऋण उतारना चाहते थे. लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
किरोड़ी लाल मीणा ने क्या कहा
किरोड़ी लाल मीणा ने कहा, 45 साल हो गए. राजनीति के सफर के दौरान सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया. जनहित में सैंकड़ों आंदोलन किए... साहस से लड़ा. बदले में पुलिस के हाथों अनगिनत चोटें खाईं. आज भी बदरा घिरते हैं तो समूचा बदन कराह उठता है. मीसा से लेकर जनता की खातिर दर्जनों बार जेल की सलाखों के पीछे रहा. संघर्ष की इसी मजबूत नींव और सशक्त धरातल के बूते दौसा का उपचुनाव लड़ा. जनता के आगे संघर्ष की दास्तां रखी. घर-घर जाकर वोटों की भीख भी मांगी. फिर भी कुछ लोगों का दिल नहीं पसीजा.
45 साल हो गए। राजनीति के सफर के दौरान सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया। जनहित में सैंकड़ों आंदोलन किए। साहस से लड़ा। बदले में पुलिस के हाथों अनगिनत चोटें खाईं। आज भी बदरा घिरते हैं तो समूचा बदन कराह उठता है। मीसा से लेकर जनता की खातिर दर्जनों बार जेल की सलाखों के पीछे रहा। 1/6 pic.twitter.com/pKZdu5BVNv
— Dr. Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) November 23, 2024
मुझमें बस एक ही कमी है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता और इसी प्रवृत्ति के चलते मैंने राजनीतिक जीवन में बहुत नुकसान उठाया है. स्वाभिमानी हूं. जनता की खातिर जान की बाजी लगा सकता हूं. गैरों में कहां दम था, मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा है.
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