Rajasthan: '20 साल से राजपूत जिलाध्यक्ष था, फिर राजपूत को बना दिया' राजसमंद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रंधावा को घेरा 

डूंगरपुर में कांग्रेस के सम्मेलन से लौटे हुए रास्ते में राजसमंद में कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से शिकायत करते हुए नज़र आरहे हैं. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

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रंधावा से बात करते कांग्रेस कार्यकर्ता

Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली शुक्रवार को डूंगरपुर जिले के दौरे पर रहे. अपने दौरे के दौरान तीनों बड़े नेताओं ने डूंगरपुर शहर के वागड़ गांधी वाटिका में कांग्रेस कार्यकर्ता को संबोधित किया. पीसीसी चीफ ने भाजपा सरकार और कांग्रेस सरकार के कार्यों पर भाजपा सरकार को डिबेट की खुली चुनौती दी, वहीं सम्मेलन में कांग्रेसी कार्यकर्ताओ को डूंगरपुर जिले में कांग्रेस को मजबूत करने का पाठ भी पढ़ाया.

रास्ते में राजसमंद में कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से शिकायत करते हुए नज़र आरहे हैं. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में कांग्रेस के कार्यकर्ता राजसमंद जिले के अध्यक्ष के बारे में शिकायत करते नज़र आ रहे हैं. एक कार्यकर्ता रंधावा से कह रहा है, ''राजसमंद में लंबे समय से हरिसिंह राठौड़ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हैं, हमें किसी जाति से कोई दिक्कत नहीं है. अब कार्यकारी अध्यक्ष भी राजपूत आदित्य प्रताप सिंह को बनाया गया है, तो दूसरे समाज सब नाराज हो रहे हैं''

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''20  साल से राजपूत के अलावा किसी को नहीं मिला मौक़ा''

आगे वीडियो में सुनाई दे रहा है, ''यहां 20  साल से राजपूत के अलावा किसी और समाज को मौक़ा ही नहीं मिल रहा है, हमें आपसे (रंधावा) उम्मीद है, आप हमारी बार आगे पहुंचाओगे''

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राजस्थान के आदिवासी बेल्ट में राजनीतिक सम्मेलन के ज़रिए कांग्रेस ने आदिवासी इलाके में अपने खोए हुए सियासी जनाधार को फिर से हासिल करने की कवायद शुरू कर दी है. दरअसल राजस्थान की राजनीति में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की आरक्षित सीटों की निर्णायक भूमिका है.

विधानसभा की कुल 200 में से 59 सीटें इन वर्गों के लिए आरक्षित हैं. 34 अनुसूचित जाति (SC) और 25 अनुसूचित जनजाति (ST) है. परंपरागत रूप से इन सीटों पर पकड़ रखने वाली कांग्रेस को हाल के वर्षों में भाजपा और क्षेत्रीय ताकतों से गहरी चुनौती मिली है. खासकर भारत आदिवासी पार्टी (BAP) का उभार कांग्रेस के लिए बड़ी चिंता बना हुआ है.

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