Rajasthan Politics: जब केंद्र में मंत्री थे तो राजस्थान में क्यों बने विधायक? राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पहली बार बताई वजह

10 सितंबर 2013 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए राज्यवर्धन सिंह राठौड़ इस वक्त राजस्थान की जोतवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक हैं. 2023 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के अभिषेक चौधरी को 50,167 वोटों से हराया था.

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राजस्थान सरकार में मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़.

Rajasthan News: राजस्थान के जैसलमेर जिले में जन्मे राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (Rajyavardhan Singh Rathore) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की पहली कैबिनेट में मंत्री थे तो फिर वे 2023 में विधायक क्यों बन गए? क्या ये उनका डिमोशन था, या वजह कुछ और थी? ऐसे तमाम सवाल उस वक्त से लोगों के जहन में हैं, जब से कर्नल राठौड़ ने राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा है. आज एक इंटरव्यू में राजस्थान के कैबिनेट मंत्री राठौड़ ने खुद इन सवालों का जवाब दिया है.

'गोली कान के पास से नहीं निकली तो कैसे फौजी'

राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा, 'जब मैंने राजनीति में जाने के बारे में पहली बार सोचा तो लोगों ने सुझाव दिया कि राज्यसभा में चले जाओ. लेकिन मैंने फैसला किया कि अगर राजनीति में जाना है तो फिर लोकसभा में ही जाऊंगा. क्योंकि, असली राजनीति वही है जहां जनता आपको चुनकर भेजे, ना की नॉमिनेशन से आप वहां पहुंचें. फौज में कहावत है कि अगर युद्ध में गोली आपके कान के पास से नहीं निकली तो वो फौजी कैसा? उसी तरह अगर राजनीति में आए और लोकतंत्र वाली लड़ाई नहीं लड़ी तो वो नेता ही क्या. मैंने जो सोचा वो पाया.'

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2019 में मंत्री न बनाकर पीएम ने दिया आर्शीवाद

राठौड़ ने न्यूज़ बुक को दिए इंटरव्यू में आगे कहा, 'जब मैं 2014 में लोकसभा पहुंचा तो 4 महीने के अंदर मुझे केंद्रीय मंत्री बना दिया गया. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझ पर सबसे बड़ी कृपा 2019 में दोबारा मंत्री न बनाकर की. उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि मेरे आसपास जितने भी सैटेलाइट घूमते थे, जिनके बारे में मुझे लगता था कि वो सच में मुझे चाहते हैं, वो अचानक गायब हो गए. उस वक्त मेरा भ्रम टूटा और मेरे समझ आया कि ये कुर्सी की ताकत है, मेरी ताकत नहीं है.' 

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'राजनीति की गुत्थम गुत्था वाली लड़ाई सिखने आया'

कर्नल राठौड़ ने बताया, 'मैं राजस्थान की राजनीति को देखता था. यहां विधायकों की एक अलग चहल-पहल रहती थी. सांसद होने का एक अलग रुतबा रहता था, लेकिन जनता विधायकों के दर्द गिर्द रहती थी. तब मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दूसरा आर्शीवाद मिला, जिसके बारे में मुझे बिल्कुल जानकारी नहीं थी. उन्हें कप्तान की तरह तय करके मुझसे कहा कि अब आप राजस्थान जाइए और विधायक की लड़ाई लड़िए. मैं ये जानता था कि मेरी सियासी एजुकेशन पूरी होनी बाकी है. वो पूरी होनी बहुत जरूरी थी. वो भी राजनीति की गुत्थम गुत्था की लड़ाई. बस इसीलिए मैं राजस्थान आ गया.'

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