Raksha Bandhan 2025: भाई पाकिस्तान में, बहनें भारत में… रक्षाबंधन पर अधूरी खुशियों की कहानियां

Raksha Bandhan 2025: थार एक्सप्रेस, जो कभी रिश्तों को जोड़ने का पुल थी, अब बंद है. दोनों देशों के बीच तनाव ने इन परिवारों की उम्मीदों को और धुंधला कर दिया है. मिश्री जैसी बहनें बस एक ही आस लगाए बैठी हैं कि एक दिन सरहद का कांटा हटेगा और वे अपने भाइयों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मना पाएंगी.

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मिश्री की तरह ही बाड़मेर में कई ऐसी बहनें हैं, जो सरहद के उस पार बिछड़े भाइयों से मिलने को बेताब हैं.

Barmer News: भारत-पाकिस्तान बंटवारे की कांटेदार सरहद ने न केवल दो देशों को बांटा, बल्कि सैकड़ों परिवारों के रिश्तों को भी सरहद ने बांट दिया. रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है, बाड़मेर के कई परिवारों के लिए अधूरा रह जाता है. पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए परिवारों की बहनें आज भी अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने को लेकर सालों से  तरस रही हैं. रक्षाबंधन पर हर साल ये बहनें राखी खरीदती हैं, थाली सजाती हैं, लेकिन सरहद की दीवार उनके अरमानों को पूरा नहीं होने देती.

बाड़मेर के गेहूं रोड की मिश्री देवी की कहानी भी ऐसी ही है. साल 2013 में उनका परिवार पाकिस्तान के मीरपुर खास, सिंध से भारत आया था. तब से 13 साल बीत गए, लेकिन मिश्री अपने चार भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांध पाईं. हर रक्षाबंधन पर वह राखी की थाली सजाती हैं, भाइयों के लिए राखी खरीदती हैं, लेकिन उनकी आंखें नम हो जाती हैं. मिश्री बताती हैं, “मेरे चार भाई और पांच बहनें पाकिस्तान में हैं. रक्षाबंधन पर उनकी बहुत याद आती है. मैं चाहती हूं कि एक दिन मैं सारी सहेजी राखियां उनकी कलाई पर बांधूं.”

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हमारी मांग है कि थार एक्सप्रेस ट्रेन को जल्द शुरू किया जाए. ताकि बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकें- मिश्री 

मिश्री की तरह ही बाड़मेर में कई ऐसी बहनें

मिश्री की तरह ही बाड़मेर में कई ऐसी बहनें हैं, जो सरहद के उस पार बिछड़े भाइयों से मिलने को बेताब हैं. पाक विस्थापित संघ के नरपत सिंह धारा बताते हैं, “पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हिंदू परिवारों की बेटियां, जिनकी शादी भारत में हुई, वे भी अपने भाइयों से मिल नहीं पातीं. मोदी सरकार ने नागरिकता कानून से हमें राहत दी, लेकिन हमारी मांग है कि थार एक्सप्रेस ट्रेन को जल्द शुरू किया जाए. ताकि बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकें.”

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दोनों देशों के बीच तनाव ने उम्मीदों को और धुंधला कर दिया

थार एक्सप्रेस, जो कभी रिश्तों को जोड़ने का पुल थी, अब बंद है. दोनों देशों के बीच तनाव ने इन परिवारों की उम्मीदों को और धुंधला कर दिया है. मिश्री जैसी बहनें बस एक ही आस लगाए बैठी हैं कि एक दिन सरहद का कांटा हटेगा और वे अपने भाइयों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मना पाएंगी.

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तब तक उनकी राखियां, उनके आंसुओं के साथ सहेजकर रखी जा रही हैं, उस दिन का इंतजार करते हुए जब वे अपने भाइयों की कलाई पर प्यार का धागा बांध सकें.

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