रक्षाबंधनः मौत भी नहीं तोड़ सका भाई-बहन का प्यार, 17 साल से शहीद भाई को राखियां बांध रहीं बहनें

2006 में आतंकवादियों से लड़ते हुए डीडवाना के छोटूराम शहीद हो गए थे. उनकी शहादत के 17 साल बाद आज भी उनकी बहनें हर साल रक्षाबंधन पर उन्हें राखी बांधती हैं.

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रक्षाबंधन... भाई-बहन के प्यार और अपनेपन का पवित्र पर्व... इन दिनों पूरे देश में राखी के त्योहार को लेकर उत्साह का माहौल है. चौक-चौराहे, बाजारों में रंग-बिरंगी राखियों की दुकानें सज चुकी हैं. इस दिन बहनों द्वारा भाइयों के कलाइयों पर राखी बांधा जाता है. भाई बहनों को गिफ्ट देते हैं, साथ ही उनकी रक्षा की शपथ लेते हैं. रक्षाबंधन के समय भाई-बहन के प्यार की कई कहानी सामने आती हैं. लेकिन आज हम आपको भाई-बहन के प्यार की एक ऐसी अनूठी कहानी बताने जा रहे हैं, जिन जानकर आपका भी दिल भर जाएगा. दरअसल यह कहानी है राजस्थान के डीडवाना जिले का. जहां मौत भी भाई-बहन का प्यार नहीं तोड़ सका. डीडवाना के छापरी गांव में दो बहने 17 साल से अपने शहीद भाई को राखी बांध रही हैं. 

डीडवाना के छापरी गांव की घटना

यह कहानी के डीडवाना के छापरी गांव के छोटूराम की. छोटूराम भारतीय सेना में सूबेदार थे. 17 साल पहले जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए वो शहीद हो गए थे. छोटूराम की शहादत के 17 साल बाद अब भी उनकी बहनें बिमला और गीता भाई को राखी बांधती है. बिमला और गीता का भाई इस दुनिया में मौजूद नहीं है, लेकिन दोनों बहनें आज भी राखी जैसे पवित्र बंधन को निभा रही हैं. 

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हाईवे किनारे लगा है शहीद का स्मारक

हर साल रक्षाबंधन के दिन ये दोनों बहनें अपने भाई को याद करती हैं और शहीद भाई की मूर्ति पर राखी बांधकर भाई-बहन के रिश्ते की परंपरा निभा रही हैं. छोटूराम को देश की खातिर शहीद हुए 17 साल बीत चुके हैं. इसके बावजूद भाई-बहनों के बीच का रिश्ता आज भी कायम है. गांव से गुजर रहे हाईवे किनारे ही शहीद छोटूराम का स्मारक है, जहां लगी शहीद की मूर्ति पर राखी बांधने के लिए आज उनकी बहनें बिमला और गीता यहां पहुंची हैं. 

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'मेरा भाई मरा नहीं है, आज भी हमारे दिल में है'

शहीद छोटूराम बहनों ने बताया कि हमलोग अब भी अपने शहीद भाई को बहुत याद करते हैं. छोटू राखी पर हमसे राखी बंधवाते थे और हमारे लिए तोहफे भी लाते थे। उन्होंने कहा कि हमारा भाई मरा नहीं है, आज भी वो उनके दिल में, हम सबके दिल मे, इस देश के दिलों में जिंदा है, क्योंकि शहीद कभी मरते नहीं है.

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2006 में बारामूला में 6 आतंकियों को मारकर हुए थे शहीद 

गौरतलब है कि शहीद छोटूराम भारतीय सेवा की ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट में नायक के पद पर कार्यरत थे. 4 जून 2006 को जम्मू कश्मीर के बारामूला में ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकवादियों से लोहा लेते हुए छोटूराम शहीद हो गए थे. इस दौरान उन्होंने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए 6 आतंकवादियों को मार गिराया था.
 

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