रणथंभौर और सरिस्का में रहस्यमय तरीके से 13 टाइगर लापता, राजस्थान में बाघों के जीवन पर मंडरा रहा संकट

राजस्थान के रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व से 13 बाघ लापता होने की खबर ने वन्यजीव प्रेमियों को झकझोर दिया है. वन विभाग की मॉनिटरिंग रिपोर्ट ने बाघों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं. आखिर जंगल का राजा कहां गायब है?

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राजस्थान में बाघों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है.

Rajasthan News: राजस्थान के रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व, जो कभी बाघों के लिए सुरक्षित आश्रय माने जाते थे, आज सवालों के घेरे में हैं. वन विभाग की एक मॉनिटरिंग रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि इन दोनों रिजर्व से करीब 25 टाइगर लापता हैं. यह खबर वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों के लिए झटके से कम नहीं है. रणथंभौर से 11 और सरिस्का से 2 टाइगर गायब हैं, जिनमें से कई को कैमरे में लंबे समय से कैद नहीं किया गया. इसके बाद अब सवाल आता है कि आखिर जंगल का यह राजा अपने ही घर में कहां खो गया?

पहले खतरा, फिर उम्मीद, अब फिर सवाल

कुछ साल पहले सरिस्का और रणथंभौर में बाघों की जान पर खतरा मंडराया था. शिकारी संसार चंद्र ने इनके अस्तित्व को खतरे में डाल दिया था. सरकार ने सख्त कदम उठाए, शिकारी को सजा दी और बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए. इसके बाद नतीजा आया और बाघों की आबादी 150 के पार पहुंच गई.

वहीं सैलानी, वन विभाग और वन्यजीव विशेषज्ञ खुशी से झूम उठे. लेकिन हाल की रिपोर्ट ने फिर से चिंता बढ़ा दी. पगमार्क ट्रैकिंग और कैमरा ट्रैप से पता चला कि 25 टाइगर गायब हैं. इसके बाद विभाग ने तुरंत कैमरे बढ़ाए और 12 बाघों को ढूंढ निकाला, लेकिन 13 अभी भी लापता हैं.

जानें क्या कहता है वन विभाग

लापता बाघों की तलाश के लिए वन विभाग ने एक कमेटी बनाई, लेकिन एक साल बाद भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला. वन मंत्री संजय शर्मा का कहना है कि कुछ बाघ मध्य प्रदेश के कूनो पार्क की ओर चले गए होंगे, क्योंकि रणथंभौर का इलाका वहां से सटा है.

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उन्होंने यह भी कहा कि कई गायब बाघ उम्रदराज थे, जिनकी प्राकृतिक मृत्यु हो सकती है. लेकिन सवाल यह है कि अगर ऐसा है, तो उनके अवशेष कहां हैं? सरिस्का का टाइगर ST-13 तीन साल से गायब है, और अकबरपुर रेंज की टाइग्रेस 2401 का भी कोई सुराग नहीं. रणथंभौर के T-92, T-20, T-70 जैसे 11 बाघों का भी कोई पता नहीं.

क्या फिर लौटा शिकारियों का साया?

एक टाइगर का जीवनकाल 15 से 18 साल होता है. विभाग का दावा है कि गायब बाघों में ज्यादातर उम्रदराज थे. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में बाघों का गायब होना संदेह पैदा करता है. क्या जंगल में फिर से कोई नया शिकारी गिरोह सक्रिय है? विभाग ने सर्च ऑपरेशन और पेट्रोलिंग बढ़ाई, लेकिन विशाल जंगल में हर कोने की निगरानी कितनी संभव है? बाघों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम अब सवालों के घेरे में हैं.

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