रणथंभौर टाइगर रिजर्व: 25 बाघ लापता, जब बनी जांच कमेटी तो 10 की तत्काल हुई वापसी, प्रशासन पर तेजी से उठ रहें सवाल

रणथंभौर टाइगर रिजर्व से लापता 25 बाघों में से 10 को जांच कमेटी गठन के 48 घंटे में ढूंढ निकाला गया है. तत्काल हुई इस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं कि वन विभाग द्वारा अब तक यह कदम क्यों नहीं उठाए गए.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Ranthambore Tiger Reserve: कौन कहता है रणथंभौर टाईगर रिजर्व का प्रशासन काम नहीं करता, इनके काम और मुस्तैदी का आलम यह है कि लापता 25 बाघों के लिए जांच कमेटी गठित होते ही मात्र 48 घंटे के अल्प समय में विभाग ने 10 लापता बाघों को ढूंढ निकाला. इससे तो ऐसा मालूम होता है कि विभाग के पास जिन्न का चिराग या कोई जादू की छड़ी है, जिसका शायद ये अब तक उपयोग ही नहीं कर रहे थे. जैसे ही उच्चाधिकारियों का दबाव पड़ा और जांच कमेटी गठित हुई, वैसे ही रणथंभौर के वनाधिकारियों ने जैसे अपने तरकश से चिराग या जादू की छड़ी निकाली और चिराग घिसते ही बाहर निकलें बाघ. वनाधिकारियों के कहने मात्र से साल भर से अधिक समय से गायब 10 बाघों को तुरंत ढूंढ लिया गया. हालांकि विभाग यह जानकारी नहीं दे पा रहा है कि यह बाघ किस क्षेत्र में थे, कहां मिले हैं और अब तक ये कहां विचरण कर रहे थे.

बात करने से बच रहें अधिकारी

रणथंभौर से लापता हुए 25 बाघों में से जांच कमेटी गठित होते ही रणथंभौर के वन अधिकारी 10 बाघों को मिलना बता रहे हैं. इनके फोटो  CCTV कैमरे में कैद होने की जानकारी दी जा रही है. लेकिन मामले में वन अधिकारी मीडिया के कैमरों का सामना करने से बच रहे हैं. रणथंभौर के DFO रामानंद भाकर ने मीडिया के कैमरों का सामान नहीं करने की शर्त पर ऑफ कैमरा बताया कि वन विभाग लापता 25 बाघों में से बाघ टी-66, टी-93, टी-94, टी-121, टी-122, टी-137, टी-2306, टी-2311, टी-2405, टी-2407 के मिलने की जानकारी दी है.

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बाघों के लापता होने पर लिखा पत्र

इस मामले को लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान जयपुर पवन कुमार उपाध्याय ने 22 अक्टूबर 2024 को 25 बाघों के लापता होने को लेकर मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक रणथंभौर बाघ परियोजना सवाईमाधोपुर को पत्र लिखा था. पत्र में बताया था कि रणथंभौर से बाघ टी-3, टी-1, टी-38, टी-48, टी-54, टी-63, टी-74, टी-79, टी-128, टी-131, टी-135, टी-14, टी-66, टी-93, टी-94, टी-99, टी-121, टी-122, टी-137, टी-139, टी-2306, टी-2311, टी-2401, टी-2405, टी-2407 लापता हो गए हैं. लम्बे समय से इन बाघों का पुख्ता प्रमाण प्राप्त नहीं होना चिंता का विषय है.

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उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन

बाघों की सघन ट्रैकिंग कराकर इनकी उपस्थिति के पुख्ता साक्ष्य प्राप्त कर इस कार्यालय को प्रेषित करने का काम करें. लेकिन प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा रणथंभौर के वनाधिकारियों को लिखे गए पत्र के बाद भी अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. ऐसे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने लापता बाघों की छानबीन को लेकर एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर दिया, जिसे 2 महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी.

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कमेटी गठित होते ही कैसे मिल गए 10 बाघ?

जांच कमेटी गठित होने के महज 48 घंटो के अंदर ही रणथंभौर के वनाधिकारियों ने रणथंभौर से लापता हुए 25 बाघों में से 10 बाघों के मिलने की जानकारी दे दी, ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि रणथंभौर के वनाधिकारियों के पास ऐसा कौन सा जिन्न का चिराग या जादू की छड़ी है जो जांच कमेटी बनाने के बाद महज 48 घण्टे के भीतर ही लापता 25 में से 10 बाघों को ढूंढ निकाला. वहीं बाकी 15 बाघ आखिर क्यों नहीं मिले? 

वैसे अगर जानकारों की माने तो रणथंभौर में 25 नहीं बल्कि विगत 10 सालों में 39 बाघ बाघिन और शावक लापता हो चुके है जो अपने आप में एक बड़ा आंकड़ा है. हालांकि वन अधिकारियों द्वारा इसकी कभी पुष्टि नहीं की गई और हम भी इसकी पुष्टि नहीं करते हैं. लेकिन यह आंकड़ा वाकई हैरान करने वाला है.

मामले को लेकर वन विभाग के अधिकारी मीडिया के सामने आने को तैयार नहीं हैं. लेकिन वन्यजीव विशेषग्यों का मानना है कि रणथंभौर से लापता कुछ बाघ बाघिन उम्र दराज हो चुके थे. ऐसे में उनकी स्वाभाविक मौत की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर रणथंभौर के वन अधिकारी बाघों की मॉनिटरिंग को लेकर आखिर इस तरह ओर इतने लापरवाह क्यों बने रहते है. अब प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा बनाई गई उच्च स्तरीय जांच कमेटी इस मामले को किस तरह देखती है ये तो आने वाले वक्त में जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही पता चल सकेगा.

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