
Ravindra Singh Bhati: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया गया. इस घटना के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लेते हुए सिंधु जल समझौता पर तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी किया. सरकार के इस फैसले को लोगों ने सही कदम ठहराया है. वहीं सिंधु जल समझौता रद्द करने के फैसले पर रविंद्र सिंह भाटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने राजस्थान के लिए सिंधु नदी के पानी की मांग कर दी है.
रविंद्र भाटी ने कहा है कि यह जल समझौता न केवल हमारे राष्ट्रीय हितों के विपरीत था, बल्कि इससे हमारे देश के नागरिकों में भी असंतोष और आक्रोश व्याप्त था. भाटी ने कहा कि अब इस पानी को राजस्थान तक पहुंचाकर यहां की सूखी जमीन और लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है. क्योंकि पश्चिमी राजस्थान के लोगों को पानी के लिए रोजाना जद्दोजहद करनी पड़ती है.
रविंद्र भाटी ने पीएम को पत्र में क्या लिखा
शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने पहलगाम आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में सिंधु जल समझौते को रद्द करने के ऐतिहासिक निर्णय के पश्चात पश्चिमी राजस्थान में जल आपूर्ति को ले कर उत्पन्न हुई नई संभावनाओं के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने कहा, अभी हाल ही में पाक प्रायोजित चरमपंथियों द्वारा जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में पर्यटकों पर कायराना हमले के विरूद्ध फैसले लेते हुए कमेटी द्वारा लिये गये निर्णयों में महत्वपूर्ण निर्णय सिंधु जल समझौता, 1960 को रद्द किया गया है. यह जल समझौता तत्कालीन समय की परिस्थितियों में लिया गया था, एवं वर्तमान समय में यह समझौता भारत के हितों के अनुरूप प्रतीत नहीं हो रहा था.
आजादी के बाद से पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से निरंतर समर्थन किया जा रहा है, जिसमें भारत के निर्दोष नागरिकों और सेना के जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. ऐसी स्थिति में भारत द्वारा पाकिस्तान को बहुमूल्य जल संसाधनों की आपूर्ति एक गंभीर रणनीतिक और नैतिक प्रश्न खड़ा करती है. यह जल समझौता न केवल हमारे राष्ट्रीय हितों के विपरीत था, बल्कि इससे हमारे देश के तमाम नागरिकों में भी असंतोष और आक्रोश व्याप्त था.
भाटी ने आगे लिखा, राजस्थान का बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा जिला, जिसकी संपूर्ण अर्थव्यवस्था कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर है. इस क्षेत्र में पेयजल की गंभीर समस्या है, जबकि कृषि के लिए मानसून बरसात पर निर्भर रहना पड़ता है. क्षेत्र के पशुपालकों को बरसाती पानी एकत्रित कर पूरे वर्ष भर अपने पशुओं हेतु जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
सतलुज नदी का पानी जो कि इंदिरा गांधी नहर से राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर एवं जैसलमेर जिले में कृषि एवं पेयजल का मुख्य स्रोत हैं. इस नहर के पानी से ही इस क्षेत्र में कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है, लोगों की आय एवं रहन सहन के स्तर में वृद्धि हुई है. क्षेत्र के किसान जैविक खेती की ओर अग्रसर है. उक्त इंदिरा गांधी नहर के विस्तार का कार्य जिसे बाड़मेर जिले के गडरारोड़ तक पूर्ण करना था, जो कि पिछले 44 वर्षों सिर्फ पानी की कमी के कारण लंबित पड़ा है. वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत इंदिरा गांधी नहर से श्रीगंगानगर बीकानेर जिले के किसानों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध नहीं होता है. जैसलमेर तक इसकी स्थिति बदतर हो जाती है और बाड़मेर जिले के आमजन, किसानो एवं पशुपालकों को अभी तक इस योजना का लाभ सही तरीके से नहीं मिल पाया है. इस जल को पश्चिमी राजस्थान की तरफ डाईवर्ट करने की नितांत आवश्यकता है इससे इंदिरा गांधी नहर से तमाम पश्चिमी राजस्थान में पेयजल, पशुपालन एवं सिंचाई हेतु पर्याप्त मात्रा में पानी मिलेगा. इंदिरा गांधी नहर के गडरारोड़ क्षेत्र तक विस्तार का कार्य पूर्ण होने से इस क्षेत्र में भी कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन आयेगा. इससे सीमावर्ती क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को संबंल मिलेगा, कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर सीमावर्ती क्षेत्र के लोगो को राहत मिलेगा. पश्चिमी राजस्थान के आकांक्षी जिलों को मजबूती मिलेगी.
इसके अतिरिक्त पश्चिमी राजस्थान रिच्यूबल एनर्जी का मुख्य हब बन गया है, विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा पश्चिमी राजस्थान में जगह-जगह पर सोलर उर्जा के पॉवर प्लांट स्थापित किये गये है और निकट भविष्य में इनकी संख्या में बढ़ोतरी होना निश्चित है. इन सोलर प्लांट के प्रबंधन / संचालन इत्यादि गतिविधियों में पानी की बहुत जरूरत पड़ रही है. इन जरूरतों की पूर्ति के लिए क्षेत्र में मौजूत भूमिगत जल का उपयोग किया जा रहा है जिससे भूगर्भ के जत तीव्रगति से दोहन हो रहा है. इन पॉवर प्लांट में आमजन के लिए उपलब्ध पानी को प्रयोग में लिया जा रहा है. इससे क्षेत्र के आमजन/किसान/पशुपालकों को भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रिन्यूबल एनर्जी सेक्टर स्थापित होने से पूर्व ही इस क्षेत्र में जल से संबंधित योजनाओं के तैयार करने एवं इनके क्रियान्वयन की आवश्यकता है जो कि सिंधु एवं इसकी सहायक नदियों के जल को पश्चिमी राजस्थान की ओर खाईवर्ट किये जाने से संभव हो पायेगा.
इस जल समझौते के रदद करने से सिंधु एवं इसकी सहायक नदियों के पानी का प्रबंधन पश्चिमी राजस्थान में किया जाये इससे सीमावर्ती क्षेत्र के आमजन् किसान, पशुपालकों एवं औद्योगिकीकरण को संबल मिलेगा जिसके दूरगामी परिणामी भारतीय अर्थव्यवस्था के सहायक सिद्ध होंगे.
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