फेमस ऐडमेकर पीयूष पांडे का निधन, राजस्थान से रहा गहरा कनेक्शन; बनाए फेविकोल, कैडबरी, एशियन पेंट्स जैसे यादगार विज्ञापन

पीयूष पांडे ने एशियन पेंट्स के लिए 'हर खुशी में रंग लाए,' कैडबरी के लिए 'कुछ खास है,' फेविकोल के लिए  'टूटेगा नहीं' और हच के पग डॉग वाले विज्ञापन बनाए. उन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी नारा 'अबकी बार, मोदी सरकार' भी दिया.

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पीयूष पांडे को भारत में एडवरटाइजिंग की दुनिया का गुरु माना जाता है
PTI

भारत में विज्ञापन जगत की एक दिग्गज हस्ती पीयूष पांडे का निधन हो गया है. पद्मश्री सम्मान प्राप्त पीयूष पांडे का 70 साल की उम्र में गुरुवार, 23 अक्टूबर को देहांत हो गया. पीयूष पांडे के बनाए विज्ञापनों ने पिछले चार दशकों ने एडवरटाइजिंग जगत में सिक्का जमाने के साथ पूरे देश में आम लोगों के दिलों में खास जगह बनाई.  उन्होंने एशियन पेंट्स के लिए 'हर खुशी में रंग लाए,' कैडबरी के लिए 'कुछ खास है,' फेविकोल के लिए  'टूटेगा नहीं' और हच के पग डॉग वाले विज्ञापन बनाए. इसके अलावा, उन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी नारा 'अबकी बार, मोदी सरकार' दिया. उनका योगदान केवल व्यावसायिक विज्ञापन तक सीमित नहीं था. उन्होंने राष्ट्रीय एकता गीत 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' लिखा और कई सामाजिक अभियान जैसे पोलियो जागरूकता और धूम्रपान विरोधी अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाई.

भारतीय विज्ञापनों को दी आत्मा

पीयूष पांडे ने 1982 में ओगिल्वी इंडिया के साथ विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा जब एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री में अंग्रेज़ी का जलवा था. लेकिन अपने अनूठे विज्ञापनों से पीयूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन को उसकी अपनी भाषा और आत्मा दी.

पीयूष पांडे ने पहला प्रिंट विज्ञापन सनलाइट डिटर्जेंट के लिए लिखा गया. छह साल बाद वह कंपनी के क्रिएटिव विभाग में आए और लूना मोपेड, फेविकोल, कैडबरी और एशियन पेंट्स जैसे ब्रांड्स के लिए कई प्रसिद्ध विज्ञापन बनाए. उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया ने लगातार 12 वर्षों तक भारत की नंबर 1 एजेंसी का दर्जा हासिल किया.

पीयूष पांडे के पिता राजस्थान में बैंक कर्मचारी थे
Photo Credit: IANS

राजस्थान से जुड़ाव

पीयूष पांडे का राजस्थान से गहरा नाता रहा. उनका जन्म 1955 में जयपुर में हुआ था. उनके पिता राजस्थान स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में काम करते थे. उनका परिवार काफी बड़ा था जिनमें सात बहनें और दो भाई थे.

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उनके भाई प्रसून पांडे फिल्म निर्देशक हैं. उनकी एक बहन ईला अरुण गायिका और अभिनेत्री हैं तथा एक और बहन रमा पांडे न्यूज़रीडर तथा थिएटर कलाकार रही हैं.

पीयूष पांडे ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में एमए की डिग्री हासिल की और 1982 में विज्ञापन जगत में कदम रखा.

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'फेविकोल का जोड़ टूट गया' - पीयूष पांडे को श्रद्धांजलि 

पीयूष पांडे के निधन को लेकर लेखक और कलाकार सुहेल सेठ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर गहरी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने लिखा, "मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति के निधन से मैं बेहद दुखी और स्तब्ध हूं. भारत ने विज्ञापन जगत की एक महान हस्ती ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और एक सज्जन इंसान को खोया है. अब जन्नत में भी गूंजेगा 'मिले सुर मेरा तुम्हारा."

वहीं फिल्ममेकर हंसल मेहता ने भी 'एक्स' पोस्ट में लिखा,"फेविकोल का जोड़ टूट गया. विज्ञापन जगत ने आज अपनी चमक खो दी. पीयूष पांडे, आप हमेशा याद आएंगे."

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अदाणी ग्रुप में एग्रो और ऑयल एंड गैस के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव अदाणी ने पीयूष पांडे के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने लिखा,"मेरे प्रिय मित्र पीयूष पांडे के निधन से स्तब्ध हूं, एक ऐसी रचनात्मक प्रतिभा जिन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में आकार दिया. उनके विचार उद्योग के मानक बने. उन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया. उनकी गर्मजोशी और बुद्धिमत्ता की बहुत कमी खलेगी. ओम शांति."

पीयूष पांडे को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्हें 2016 में पद्मश्री दिया गया और 2024 में एलआईए लीजेंड अवार्ड दिया गया. इसके अलावा, उन्हें क्लियो लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, मीडिया एशिया अवार्ड्स और कान्स लायंस में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिल चुके हैं. 

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