Padma Awards: कौन हैं राजस्थान के अली-गनी, लक्ष्मण भट्ट और जानकी लाल जिन्हें पद्मश्री सम्मान देने की हुई घोषणा?

Republic Day 2024: राजस्थान में मांड गायकी के बादशाह अली-गनी बंधु, भीलवाड़ा के 'बहरुपिया कलाकार' जानकी लाल और जयपुर के ध्रुवपद गायक लक्ष्मण भट्ट तैलंग को आज पद्मश्री अवार्ड्स दिया जाएगा. इन सभी कलाकारों का जीवन अपनी कला को सजाने सहेजने में बीता.

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जानकी लाल और ध्रुवपदाचार्य पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग.

Padma Shri Award 2024: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के विभिन्न क्षेत्रों विज्ञान, उद्योग, कला, सामाजिक कार्य, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, इंजीनियरिंग, व्यापार, खेल से जुड़ी जानी-मानी हस्तियों को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई, जिसमें देश भर की 34 हस्तियां शामिल हैं. राजस्थान के 4 कलाकारों को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई, जिसमें मांड गायकी के बादशाह अली-गनी बंधु, भीलवाड़ा के 'बहरुपिया कलाकार' जानकी लाल और जयपुर के ध्रुवपद गायक लक्ष्मण भट्ट तैलंग के नाम शामिल हैं. इन सभी कलाकारों का जीवन अपनी कला को सजाने सहेजने में बीता. इनका योगदान सिर्फ अपनी कला को समृद्ध करना नहीं रहा, बल्कि उसे नए मकाम तक ले जाने और देश-विदेश में इसकी पहचान दिलाने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है. 

गजल गायकी और मांड गायकी 'उस्ताद' अली-गनी भाई 

बीकानेर के तेजरासर जैसे छोटे से गांव से निकलने वाले अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद भाइयों की जोड़ी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा. दोनों भाइयों की जोड़ी ने ग़ज़ल गायकी को नए मक़ाम पर पहुंचाया है. अली- गनी बंधुओं ने ग़ज़ल को सुगम और सहज संगीत के साथ जोड़ा. इतना नहीं राजस्थान की पारम्पारिक मांड गायकी में भी इनका बड़ा नाम है. दोनों की जोड़ी ने कई हिंदी फिल्मों में ग़ज़ल गायकों पंकज उदास, मनोहर उदास और अनूप जलोटा के लिए भी संगीत दिया है. 

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93 साल के पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग हैं ध्रुवपद गायकी के गुरु 

जयपुर के रहने वाले 93 साल के ध्रुवपदाचार्य पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग को भी पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. लक्ष्मण भट्ट ध्रुवपद गायकी के महान कलाकार हैं. ध्रुवपद गायकी काफी कठिन गायन माना जाता है. इसमें साहित्य और संगीत की बेहद ही खूबसूरत जुगलबंदी होती है. यह कोई खुला संगीत नहीं है, बल्कि इसमें साहित्यिक और गायन के निश्चित नियम होते हैं और यह गायन इसी के भीतर गाया जाता है. लक्ष्मण भट्ट 93 साल के हैं और वो आज भी नई पीढ़ी को ध्रुवपद गायकी की शिक्षा देते हैं. 

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'बाबा बहरुपिया' को मिलेगा सम्मान 

भीलवाड़ा के रहने वाले जानकी लाल 'बहरुपिये' को भी पद्मश्री सम्मान मिलेगा. भीलवाड़ा के बहरूपिया बाबा के नाम से जानते हैं. क्योंकि वह एक बहरूपिया कलाकार है. बहरूपिया कला मौजूदा दौर में एक विलुप्त होती कला शैली है. लेकिन जानकी लाल के पास बहरूपिया कला की महारत हासिल है. वह वैश्विक दर्शकों को इस लुप्त होती कला शैली से करीब 6 दशक यानी 60 साल से भी ज्यादा वक्त से दिखा रहे हैं.  

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