Silica Sand in Kolayat: बीकानेर के कोलायत में मिला क्ले, सिलिका सैंड और बजरी के भंडार, खनन की तैयारी में सरकार

एक अनुमान के मुताबिक हाडला-बरसिंगसर के गैप एरिया में 258 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में 2 मीटर तक खोदने के बाद 5 से 7 मीटर तक सिलिका सैंड और बजरी मौजूद है. उसके बाद 10 मीटर की गहराई पर बाल क्ले मौजूद है. यहाँ तक़रीबन ढाई से 3 मिलियन टन बाल क्ले म भन्डार होने की उम्मीद है.

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प्रतीकात्मक फोटो

Bikaner News: बीकानेर का इलाक़ा धरती के धन से भरा हुआ है. इस इलाके में क्ले, जिप्सम, सिलिका सैंड और बजरी के भंडार हैं. अभी तक ये इलाका सिर्फ लिग्नाइट की माइनिंग के लिए रिजर्व था. लेकिन अब माइनिंग विभाग की नज़र यहां की ज़मीन में गड़े दूसरे धन पर भी पड़ी है. अब खान विभाग कोलायत के बरसिंगसर, हाडला, भाणेका और लोहिया इलाकों के बीच खनन का सोच रहा है. इसके लिए खान महकमा पट्टे जारी करने के लिए प्लॉटिंग की तैयारी कर रहा है. इन एरियाज में मौजूद सरकारी जमीन पर कहां-कहां सिलिका, क्ले और बजरी के भंडार हैं, इसकी रिपोर्ट विभाग ने जिओलॉजी से जुड़े एक्सपर्ट्स से मांगी है. 

दरअसल बीकानेर जिले की कोलायत तहसील के एक बड़े एरिया को सिर्फ लिग्नाइट की खोज के नाम पर बेवजह रिजर्व कर रखा था. इस पूरे एरिया में बरसिंगसर, हाडला, भाणेका और लोहिया का इलाका शामिल है. इन सभी क्षेत्रों में सिलिका सैंड, क्ले और बजरी के बड़े भंडार हैं. वहीं प्रदेश सरकार ने भी एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके तहत इस क्षेत्र को अनारक्षित घोषित कर दिया था.

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भू-वैज्ञानिकों से मांगी रिपोर्ट

उसके बाद माइनिंग डिपार्टमेन्ट ने इन इलाकों में मौजूद मिनरल्स की माइनिंग के लिए पट्टे जारी करने के लिए प्लॉटिंग की तैयारी की है और जियोलॉजिस्ट्स यानी भू-वैज्ञानिकों से रिपोर्ट मांगी है ताकि इस बात का मालूम हो सके कि किस एरिया में कौनसा खनिज कितनी मात्रा में मौजूद है. भू-वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर प्लॉटिंग की नीलामी की जाएगी. ग़ौरतलब है कि राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर इन गांवों के 577 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अनारक्षित घोषित कर दिया था. विभाग के अधिकारियों के अनुसार ये क़रीब 200 हेक्टेयर सरकारी जमीन है. जिसकी रिपोर्ट भू-वैज्ञानिकों को देनी है. 

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सिलिका सैंड और बजरी होने के मिले साक्ष्य 

एक अनुमान के मुताबिक हाडला-बरसिंगसर के गैप एरिया में 258 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में 2 मीटर तक खोदने के बाद 5 से 7 मीटर तक सिलिका सैंड और बजरी मौजूद है. उसके बाद 10 मीटर की गहराई पर बाल क्ले मौजूद है. यहाँ तक़रीबन ढाई से 3 मिलियन टन बाल क्ले म भन्डार होने की उम्मीद है.

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अगर ये परियोजना सफल होती है तो बीकानेर और आसपास के इलाकों में बजरी की किल्लत दूर होगी और निर्माण कार्यों में आम आदमी को फायदा मिलेगा. इसके अलावा बाल क्ले की माइनिंग से सिरेमिक इन्डस्ट्री को कच्चा माल सहजता से उपलब्ध हो सकेगा. जहाँ आम आदमी के लिए रोजगार के मौक़े बढ़ेंगे वहीं सरकार को रेवेन्यु का फायदा मिलेगा.

बीकानेर क्षेत्र और राज्य सरकार दोनों के लिए फायदेमंद 

प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक और जियोलॉजी के रिटायर्ड सीनियर प्रोफ़ेसर डॉ. शिशिर शर्मा का कहना है कि माइनिंग डिपार्टमेन्ट का ये एक अच्छा कदम है और इससे रोजगार के मौके बढ़ेंगे, वहीं सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा. सबसे एहम बात ये है कि इससे अवैध खनन पर लगाम लगेगी और इलाके का विकास होगा.

अभी तक इस क्षेत्र को लिग्नाइट खनन के नाम पर रोक रखा था. मगर लिग्नाइट की माइनिंग 70 से 80 फ़ीट गहराई में जाकर होती है. जबकि सिलिका, क्ले और बजरी 5 से 7 मीटर की गहराई पर जाकर मिल जाती है. इसलिए अगर ये परियोजना क्रियान्वित होती है तो बीकानेर क्षेत्र और राज्य सरकार दोनों के लिए फायदेमन्द साबित होगी.

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