Jodhpur News: गहलोत सरकार की RGHS योजना में करोड़ों का घोटाला चर्चा में है. इस सिंडीकेट से मिली पर्चियों से AIIMS के डॉक्टर भी संदेह के दायरे में हैं. मामले की जांच के लिए पुलिस ने एम्स के डॉक्टर्स को बासनी थाने बुलाकर पूछताछ शुरू कर दी है. पुलिस ने सोमवार को डॉ. महेंन्द्र और डॉ. नवीन से सवाल-जवाब करते हुए उनके बयान की वीडियो रिकार्डिंग भी की. साथ ही लाभार्थियों से भी पूछताछ का सिलसिला शुरू हो चुका है. झंवर मेडिकल के संचालक जुगल झंवर की पुलिस रिमांड पूरी होने पर उसे कोर्ट में पेश किया गया है, जहां से उसे न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि बासनी स्थित निजी अस्पताल से छह पर्ची अपलोड होने पर झंवर मेडिकल के यहां डॉ. विनय व्यास की भी पर्चियां मिलने से पुलिस ने डॉ. विनय व्यास को भी थाने बुलाकर पूछताछ की थी. आरजीएचएस के इस घोटाले की जांच में जुटी पुलिस अब इस घोटाले से जुड़ी डॉक्टर्स की कड़ी को भी खंगाल रही है.
देर रात तक चली पूछताछ
बीते दो दिनों से बासनी पुलिस एम्स के डॉक्टर्स को पूछताछ के लिए बुला रही थी, लेकिन एक भी डॉक्टर पूछताछ के लिए थाना नहीं पहुंचा. पुलिस ने एम्स प्रशासन को लिखित में आदेश भेजा कि जिन डॉक्टर्स के नाम की पर्चियां झंवर मेडिकल के यहां मिली है, उन्हें थाने भेजा जाए. इस आदेश के बाद सोमवार शाम को डॉ. महेंद्र और डॉ. नवीन थाने में हाजिर हुए, जिनसे पुलिस की पूछताछ देर रात तक चलती रही.
हैंडराइटिंग टेस्ट की तैयारी
पूछताछ के दौरान झंवर मेडिकल और उसके दलालाें से उनके संबंध और जान पहचान के बारे में सवाल किए गए. दोनों डॉक्टरों से पर्ची पर लिखी दवाइयों और हस्ताक्षर के साथ मोहर के बारे में भी बयान लिया गया. हालांकि दोनों डॉक्टर्स इन्हें अपना होने से इनकार करते रहे. पुलिस ने इनकी लिखावट और हस्ताक्षर के नमूने भी लिए हैं, जिनकी विधि विज्ञान प्रयोग शाला (एफएसएल) से जांच करवाई जाएगी.
IP एड्रेस से खुलेगा राज
पुलिस ने जुगल झंवर को रिमांड पर लेकर कई अहम बातें पूछी हैं जिनका सीधा संबंध इस घोटाले के सिंडीकेट की हर कड़ी से जुड़ा है. पुलिस को दलाल दिनेश परिहार की भी तलाश है जो फिलहाल पुलिस की पहुंच से दूर है. वहीं बासनी स्थित निजी अस्पताल से अपलोड हुई छह पर्चियों की तह तक जाने के लिए पुलिस को इन पर्चियों के अपलोड होने वाले सिस्टम के आईपी एड्रेस की जरूरत है जिसके लिए डीओपीटी विभाग से मदद मांगी गई है. वहां से आईपी एड्रेस मिलने के बाद निजी अस्पताल प्रशासन और उसके कर्मचारियाें की मिलीभगत का बड़ा खुलासा हो सकता है.
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