12वीं पास युवक बाड़मेर मेडिकल कॉलेज में बन गया सर्जन, मरीजों का करता रहा इलाज; खुलासा होने पर हुआ फरार

डॉक्टर की भर्ती प्रकिया में न तो रिजर्व कोटे का ध्यान रखा गया और न ही अभ्यर्थियों के MBBS से प्राप्त अंक अनुभव के अंक को तरहीज दी गई और सीधे चयन कर लिया गया.

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RMC Fake Doctor Case: राजस्थान में फर्जी तरीके से एमबीबीएस की डिग्री के बिना डॉक्टर बनने के मामले में हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. अब बाड़मेर के राजकीय मेडिकल कॉलेज से फर्जी तरीके से डॉक्टर बनने का मामला सामने आया है. अस्पताल में 12वीं पास युवक ने फर्जी डिग्री के आधार पर RMC से सर्टिफिकेट जारी करवाकर जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर भर्ती में हिस्सा लिया. इसके बाद उसका चयन भी हो गया और युवक ने करीब 2 महीने तक राजकीय अस्पताल में डॉक्टर बनकर ड्यूटी भी की. जब इसका खुलासा हुआ तो आरोपी फरार हो गया.

बिना MBBS के राजस्थान में बन गए डॉक्टर

दरअसल, RMC यानी राजस्थान मेडिकल काउंसिल बाहरी राज्यों से MBBS की डिग्री कर आने वाले डॉक्टर्स के दस्तावेजों की जांच कर सर्टिफिकेट जारी करती है. इस सर्टिफिकेट के बाद ही बाहरी राज्यों से डॉक्टर की डिग्री करने वाले अभ्यर्थियों को राजस्थान में प्रैक्टिस और पीजी सहित विभिन्न डिग्रियों के लिए योग्य माना जाता है. इसी RMC ने बिना डिग्रियों की जांच के 12वीं पास लोगों का रजिस्ट्रेशन कर सर्टिफिकेट जारी कर दिए और इन सर्टिफिकेट के आधार पर इन मुन्ना भाइयों ने राज्य के कई अस्पतालों की भर्तियों में भाग लिया और JR यानी जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स बन कर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया और मामला सामने आने के बाद ये लोग गायब हैं. 

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ऑपरेशन वार्ड में 2 महीने तक की ड्यूटी

राजस्थान में अब तक आठ ऐसे मुन्नाभाई MBBS सामने आएं हैं, जिन्होंने महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, बिहार, तमिलनाडु की काउंसलिंग के फर्जी रजिस्ट्रेशन से राजस्थान डॉक्टर बन गए. इनमें बाड़मेर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में देवेंद्र नेहरा ने महाराष्ट्र मेडिकल काउंसलिन की डॉ वैष्णवी बलिराम के रजिस्ट्रेशन नंबर 2022075743 से 20 जुलाई 2022 को फर्जी सर्टिफिकेट के आधार RMC में 6833 नंबर पर फर्जी MBBS का रजिस्ट्रेशन करवाया और 2 माह पूर्व JR भर्ती में सर्जन बन गया और बाड़मेर अस्पताल में महिला वार्ड में पोस्ट ऑपरेशन वार्ड में ड्यूटी देने लगा. पूरा मामला खुलने के बाद आरोपी देवेंद्र गायब हो चुका है और अस्पताल प्रशासन आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने तैयारी में है. 

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बाड़मेर के चौहटन का निवासी है आरोपी

बाड़मेर मेडिकल कॉलेज ने 16 अगस्त को जूनियर रेजिडेंट यानी जेआर भर्ती निकाली थी. इसमें 110 डॉक्टर्स ने आवेदन किया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज बाड़मेर ने सरकार के नियम भी लागू नहीं किए और 28 जेआर पदों पर नियुक्ति दे दी गई. इस प्रकिया में न तो रिजर्व कोटे का ध्यान रखा गया और न ही अभ्यर्थियों के MBBS से प्राप्त अंक अनुभव के अंक को तरहीज दी गई और सीधे चयन कर लिया गया. जानकारी के अनुसार, आरोपी युवक देवेंद्र नेहरा बाड़मेर के चौहटन इलाके के नेहरू की नाडी का निवासी है. वर्तमान में बाड़मेर शहर में ही रहता है. युवक की मां बाड़मेर के राजकीय अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मी है. वहीं पिता गवर्नमेंट टीचर है.

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