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राजस्थान: 4 पदों पर भर्ती के लिए 10000 से ज्यादा आवेदन, अपात्र अभ्यर्थियों के खिलाफ होगा एक्शन

RPSC ने 13 से 28 मई तक आवेदन वापस लेने का मौका दिया, लेकिन कई अपात्र अभ्यर्थियों ने आवेदन फॉर्म वापस नहीं लिए. जिस पर आयोग ने अल्टीमेटम देते हुए आवेदन वापस लेने की समय सीमा बढ़ाकर 22 जून रात 12 बजे तक कर दी थी.

राजस्थान: 4 पदों पर भर्ती के लिए 10000 से ज्यादा आवेदन, अपात्र अभ्यर्थियों के खिलाफ होगा एक्शन

राजस्थान में विभिन्न भर्तियों में अपात्र अभ्यर्थियों के आवेदन करने पर अब कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए राजस्थान लोकसेवा आयोग ने सख्त रवैया अपनाते हुए चेतावनी दी है कि अगर कोई अभ्यर्थी जानबूझकर गलत जानकारी देकर आवेदन करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उस पर एक साल की सजा या 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

18 मार्च को निकली थी भर्ती

राजस्थान लोकसेवा आयोग की यह सख्ती उस समय आई है, जब गृह रक्षा विभाग में निकली डिप्टी कमांडेंट की 4 पदों पर भर्ती के लिए 10 हजार आवेदन प्राप्त हुए. आरपीएससी के अनुसार, 18 मार्च 2025 को भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था और 24 मार्च से 22 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए. 

इसके बाद आयोग ने 13 से 28 मई तक आवेदन वापस लेने का मौका दिया, लेकिन कई अपात्र अभ्यर्थियों ने आवेदन फॉर्म वापस नहीं लिए. जिस पर आयोग ने अल्टीमेटम देते हुए आवेदन वापस लेने की समय सीमा बढ़ाकर 22 जून रात 12 बजे तक कर दी थी. इसके बावजूद अपात्र अभ्यर्थियों ने अपने आवेदन वापस नहीं लिए.

जांच में पाए कई अपात्र अभ्यर्थी

RPSC सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि आयोग की IT शाखा द्वारा प्राप्त ऑनलाइन आवेदनों की रैंडम/सैंपल जांच की गई, जिसमें पाया गया कि कई अभ्यर्थियों के पास आवश्यक योग्यता या अनुभव नहीं था. ऐसे अभ्यर्थियों को फॉर्म वापस लेने का निर्देश दिया गया है, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

गृह रक्षा विभाग में निकली डिप्टी कमांडेंट की 4 पदों पर भर्ती के लिए 10,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जबकि इन पदों के लिए केवल सेना के कैप्टन स्तर से रिटायर्ड अधिकारी, इमरजेंसी या शॉर्ट सर्विस कमीशनधारी ही पात्र थे. इसके बावजूद बड़ी संख्या में अपात्र उम्मीदवारों ने फॉर्म भरे. 

अपात्र अभ्यर्थियों के खिलाफ होगा एक्शन

अब RPSC ने चेतावनी दी है कि यदि कोई अभ्यर्थी जानबूझकर गलत जानकारी देकर आवेदन करता है, तो भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 217 के तहत उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें एक साल की सजा या 10,000 रुपये तक का जुर्माना शामिल है. ई-मित्र संचालकों को भी आगाह किया गया है कि वे अभ्यर्थियों को भ्रामक तरीके से फॉर्म भरने के लिए प्रेरित न करें, अन्यथा उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है.

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