RTI Act : सूचना का अधिकार आंदोलन की नींव ब्यावर के चांग गेट से पड़ी, जब साल 1996 में मजदूरों, किसानों और आम नागरिकों ने यह मांग उठाई कि सरकार आम जनता के नाम पर जो खर्च करती है, उसका हिसाब जनता को मिलना चाहिए. आंदोलन के दौरान कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए “वो कागज़ दिखाओ, जिस पर लिखा है कि जनता के नाम खर्च हो रहा है पैसा”. इसी संघर्ष से ‘सूचना का अधिकार' आंदोलन जन्मा. आरटीआई कार्यकर्ता शंकर सिंह ने बताया कि इसी धरने के दौरान गीत बना था “मैं नहीं मांगा, मेरा हक मांगा”, जिसने आंदोलन को नई पहचान दी. ब्यावर की यही धरती बाद में राष्ट्रीय स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग का केंद्र बनी.
''सूचना का अधिकार लोकतंत्र की आत्मा''
रविवार को ब्यावर के चांग गेट पर आयोजित आरटीआई आंदोलन के रिक्रिएशन कार्यक्रम में मजदूर शक्ति संगठन की संस्थापक सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि सूचना का अधिकार केवल एक कानून नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा है. इसे जनता ने संघर्ष और बलिदान से हासिल किया है, इसलिए इसे बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि यह अधिकार गरीब, वंचित और ग्रामीण जनता के संघर्ष का परिणाम है. इस मौके पर 1996 के ऐतिहासिक आंदोलन को याद किया गया, जब हजारों मजदूरों और किसानों ने ब्यावर की सड़कों पर पारदर्शिता की मांग को लेकर डेरा डाल दिया था.
''सरकारें जवाबदेही से डरती हैं''
अरुणा रॉय ने सरकारों पर आरटीआई कानून को कमजोर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि आज डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन और राजनीतिक दलों के नाम पर आरटीआई के जवाब देने से बचा जा रहा है. यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है. रॉय ने कहा कि सूचना आयोगों में बैठे आयुक्त भी सरकारी ‘पिट्ठू' बन गए हैं और जनता की आवाज़ को दबाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह कानून जनता की ताकत है, और इसे कमजोर करने की कोशिश जनता के अधिकारों पर हमला है.
देश का पहला आरटीआई मेला
रविवार को ब्यावर के नरबदखेड़ा में देश का पहला “सूचना का अधिकार मेला” आयोजित किया जा रहा है. इस अवसर पर सूचना अधिकार संग्रहालय का शिलान्यास किया जाएगा. मेले में आरटीआई के संघर्ष, उपलब्धियों और नागरिक अनुभवों पर प्रदर्शनियां लगेंगी. देशभर के आठ राज्यों, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और राजस्थान से कार्यकर्ता पहुंचे. देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने कहा कि अगर आरटीआई कानून कमजोर हुआ तो लोकतंत्र की पारदर्शिता खत्म हो जाएगी. मेले में आए युवा कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों में जाकर जनता को सरकारी योजनाओं की जानकारी देने और आरटीआई कानून को मजबूत करने का संकल्प लेते नजर आए.
गहलोत बोले- आरटीआई को मोदी सरकार ने किया कमजोर
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून नागरिकों को सशक्त और शासन को पारदर्शी बनाने वाला ऐतिहासिक कदम था. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने सूचना आयुक्तों की शक्तियां घटाकर और पद रिक्त रखकर आरटीआई को कमजोर किया है. गहलोत ने कहा, आरटीआई की मजबूती ही लोकतंत्र की मजबूती है.
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