वापस आ जाओ चुनाव लड़ लेंगे... BJP में शामिल होते ही ज्योति मिर्धा ने बेनीवाल को दी चुनौती

बीते दिनों भाजपा में शामिल हुईं पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा पर नागौड़ सांसद हनुमान बेनीवाल ने तंज कसते हुए कहा था कि मिर्धा परिवार के पास कोई विचारधारा नहीं है. बेनीवाल ने इस बयान पर मिर्धा ने भी करारा पलटवार किया है.

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ज्योति मिर्धा और हनुमान बेनीवाल
NAGAUR:

नागौर के सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता किसी से छिपी नहीं है. दोनों में लंबे समय से राजनीतिक वाक् युद्ध होता रहा है. हनुमान बेनीवाल जहां कई बार ज्योति मिर्धा के बहाने समूचे मिर्धा परिवार पर तंज कसते रहे हैं, वहीं अब भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योति मिर्धा ने भी हनुमान बेनीवाल पर तीखा हमला बोला है. 

पिछले दिनों भी भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा जब नागौर जिले में आई, तब एक सभा में ज्योति मिर्धा ने न केवल भाजपा की विचारधारा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की, बल्कि वह मंच से हनुमान बेनीवाल पर तंज कसने से भी नहीं चुकीं .
 

ज्योति मिर्धा ने मंच से ही हनुमान बेनीवाल को ललकारते हुए सीधे आमने-सामने चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती दे दी. ज्योति मिर्धा ने कहा कि वही घोड़े वही मैदान, वापस आ जाओ चुनाव लड़ लेंगे.

आपने खुद कितनी पार्टियां बदलीं : मिर्धा 

मिर्धा ने कहा  "मैं उन्हें (हनुमान बेनीवाल को) याद दिलाना चाहती हूं कि उनके स्वर्गीय पिताजी रामदेव जी ने भी कितनी ही बार पार्टियां बदलीं . 1977 में रामदेव जी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा. फिर लोकदल, फिर जनता दल और अंतिम बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा. वही हनुमान बेनीवाल ने पहला चुनाव इनेलो की टिकट पर लड़ा. दूसरा चुनाव भाजपा के बैनर पर लड़ा, फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा." 

ज्योति मिर्धा ने कहा कि "लोकसभा के चुनाव में जब मेरे सामने (हनुमान बेनीवाल ने) चुनाव लड़ा तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और बोलते हैं कि मैंने दो बार चुनाव हरा दिया. अरे भाई निर्दलीय जब चुनाव लड़ा था, तब तो आपकी जमाना जब्त हो गई थी और मुझे तो भाजपा ने चुनाव हराया था. 2019 में अगर आप टायर का सिंबल नहीं लाते और बीजेपी की स्टेपनी नहीं बनते तो, वापस. वही घोड़े वही मैदान, वापस आ जाओ चुनाव लड़ लेंगे." 

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मैं उन्हें (हनुमान बेनीवाल को) याद दिलाना चाहती हूं कि उनके स्वर्गीय पिताजी रामदेव जी ने भी कितनी ही बार पार्टियां बदलीं . 1977 में रामदेव जी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा. फिर लोकदल, फिर जनता दल और अंतिम बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा. वही हनुमान बेनीवाल ने पहला चुनाव इनेलो की टिकट पर लड़ा. दूसरा चुनाव भाजपा के बैनर पर लड़ा, फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा.

ज्योति मिर्धा

भाजपा नेता

बेनीवाल ने भाजपा में शामिल होने पर कसा था तंज

इससे पहले मिर्धा के भाजपा में शामिल होने पर हनुमान बेनीवाल ने उन पर तंज़ कसते हुए मिर्धा परिवार को बिना विचारधारा का परिवार बता दिया था. बेनीवाल ने कहा था कि अब मिर्धा परिवार का कोई राजनीतिक वजूद नहीं है और मिर्धाओं की कोई एक राजनीतिक विचारधारा भी नहीं है. मिर्धा परिवार के लोग पार्टियां बदलते रहे हैं.

RLP और कांग्रेस के गठबंधन की अटकलें 

इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में फिर से चर्चाएं तेज हो गई है. माना जा रहा है कि इस बार का लोकसभा चुनाव भी इन दोनों के बीच ही हो सकता है. संभावना जताई जा रही है कि भाजपा ज्योति मिर्धा को लोकसभा उम्मीदवार बना सकती है, वहीं हनुमान बेनीवाल भाजपा से गठबंधन तोड़कर अलग हो चुके हैं.

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दूसरी ओर हनुमान बेनीवाल के कांग्रेस से गठबंधन की अटकलें भी लगाई जा रही है. माना जा रहा है कि हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के बीच भी गठबंधन हो सकता है. यह भी संभावना जताई जा रही है कि अगर कांग्रेस, हनुमान बेनीवाल से गठबंधन नहीं करती है, और अपना प्रत्याशी चुनाव में उतरती है तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा.

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