Samleti bomb blast case: सुप्रीम कोर्ट में समलेटी बम धमाका मामले की सुनवाई शुरू हो गई. बिना वकील के आरोपियों को नोटिस जारी किया गया है. 22 मई 1996 को राजस्थान के समलेटी गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-11 पर एक बस में बम विस्फोट हुआ था. इस ब्लास्ट में 14 लोगों की मौत हो गई थी और 37 लोग घायल हो गए. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने की. अदालत की ओर से आरोपियों को नोटिस जारी किए गए, ताकि उन्हें सुनवाई की जानकारी मिल सके.
फैसले को चुनौती देने कोर्ट पहुंचे आरोपी
राजस्थान सरकार की ओर से इस मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकरे और शिव मंगल शर्मा ने पैरवी की. वहीं, आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल समेत अन्य वकील पक्ष रखने के लिए मौजूद रहे. केस में आरोपी अब्दुल हमीद को ट्रायल कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा. इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की.
इन आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को सरकार ने दी चुनौती
जावेद खान, अब्दुल गोनी, लतीफ अहमद बाजा, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली भट, पप्पू और रईस बैग को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. आरोपियों की ओर से फैसले को चुनौती दिए जाने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में है. जबकि फारुख अहमद और चंद्र प्रकाश अग्रवाल को बरी किए जाने के बाद सरकार कोर्ट पहुंची है.
इन आरोपियों को जारी किए नोटिस
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 3 आरोपी लतीफ अहमद बाजा, मिर्जा निसार हुसैन और मोहम्मद अली को वकील नहीं मिला है. कोर्ट ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि वह इन आरोपियों को एक सप्ताह के भीतर नोटिस जारी कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करे. इसके अलावा, अदालत ने यह भी आदेश दिया कि आरोपियों को ‘दस्ती नोटिस' (व्यक्तिगत रूप से सूचना देने का आदेश) दिया जाए, ताकि उन्हें सुनवाई की जानकारी मिल सके.
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