Rajasthan: सरिस्का टाइगर रिजर्व को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना, जयराम रमेश बोले - विनाशकारी साबित होगा यह कदम

Rajasthan News: 50 से अधिक खनन गतिविधियों को फिर से शुरू करने और सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने से बाघों के आवास में खलल पड़ेगा. इसके विरोध में रविवार को केंद्र और राजस्थान सरकार पर निशाना साधा है.

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Jairam Ramesh

Sariska Tige Reserve: अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीटीएच क्षेत्र को लेकर मामला अब गरमाता जा रहा है. कांग्रेस ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. क्योंकि उनका मानना ​​है कि 50 से अधिक खनन गतिविधियों को फिर से शुरू करने और सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने से बाघों के आवास में खलल पड़ेगा. इसके विरोध में रविवार को केंद्र और राजस्थान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा गया कि यह कदम 'पारिस्थितिक रूप से विनाशकारी' होगा.

दिसंबर 2005 में उठाए गए कदमों से बढ़ी थी सरिस्का में बाघों की संख्या

उन्होंने आगे कहा कि इसके परिणामस्वरूप दिसंबर 2005 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और जून 2007 में 'वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो'अस्तित्व में आया. इसके बाद सरिस्का के साथ-साथ पन्ना टाइगर रिजर्व में भी बाघों को बसाने की प्रक्रिया शुरू की गई, हालांकि शुरुआत में कुछ विशेषज्ञों ने इस पर संदेह जताया था,लेकिन आज सरिस्का में बाघों की संख्या 48 तक पहुंच गई है, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.

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अब अभयारण्य की सीमा को बदलने की हो रही है तैयारी

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘अब अभयारण्य की सीमा को बदलने की तैयारी की जा रही है. इससे इस क्षेत्र की वे 50 खनन कंपनियां, जो पहले बंद हो चुकी थीं, फिर से खनन शुरू कर सकती हैं.'' बाघ अभयारण्यों के सतत प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की पूर्ण भागीदारी आवश्यक है और यह कहने की आवश्यकता नहीं है. 50 खदानों (संगमरमर, डोलोमाइट, चूना पत्थर और मेसोनिक पत्थर) और दूसरी खदानों को दोबारा शुरू करने से बाघों का रहवास, जो बड़ी मेहनत से वापस बना है, फिर से खतरे में पड़ जाएगा.''

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बाघों की पारिस्थितिकी के लिए विनाशकारी होगा

उन्होंने दावा किया कि इससे बाघों के आवास खंडित हो जाएंगे. इसकी भरपाई के लिए "बफर जोन" में नए क्षेत्रों को जोड़ने की बात कागज पर तो अच्छी लग सकती है, लेकिन हकीकत में यह बाघों की पारिस्थितिकी के लिए विनाशकारी होगा, खासकर तब जब बाघों की आबादी पहले से ही सीमित है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अलवर से हैं और राजस्थान के पर्यावरण मंत्री भी वहीं से आते हैं. क्या यह 'डबल इंजन' सरकार वाकई खनन मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए बाघ गलियारे के इस विघटन का समर्थन कर रही है?

जयराम रमेश ने कहा कि अंतत: सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ेगा क्योंकि उसके निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. फिलहाल इन दावों पर केंद्र या राजस्थान सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

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