Rajasthan: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बैंक धोखाधड़ी मामले में 20 साल से फरार चल रहे वी. चलपति राव को गिरफ्तार किया है. वो करीब दो साल से भरतपुर की एक गोशाला में साधु के भेष में था. सीबीआई की टीम अपना घर आश्रम पहुंची तो असलियत का पता चला. CBI ने आरोपी के बारे में जानकारी ली. कोर्ट ने वी.चलपति राव को मृत घोषित कर दिया था. CBI ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि वी. चलपति राव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कई बार अपनी पहचान और जगह बदली. मई 2002 में CBI ने आरोपी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 50 लाख रुपये की बैंक धोखाधड़ी के चलते मामला दर्ज किया गया था.
2022 में साधु के भेष में आश्रम पहुंचा था आरोपी
अपना घर आश्रम संचालक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया, "23 जुलाई 2022 की बात है. एक व्यक्ति साधु के भेष में अपना घर आश्रम में पहुंचा था. उसने अपना नाम विधितात्मानंद तीर्थ बताया. उसने कहा कि आपके आश्रम के बारे में मैंने बहुत सुना है. आप जिस तरह से बेसहारा लोगों की सेवा कर रहे हैं कोई नहीं कर सकता. मैं इस आश्रम में रहकर बेसहारा लोगों की सेवा करना चाहता हूं."
वी. चलपति राव को गौशाल का प्रभारी बना दिया गया
उन्होंने कहा, "उस व्यक्ति की बातों से लगा कि यह सही कह रहा है. ऊपर से साधु है, इसलिए भरोसा कर लिया. उसी साल नगर निगम की इकरन स्थित गौशाला को गोद लिया था. इसी व्यक्ति को उस गौशाला का प्रभारी बना दिया. यह व्यक्ति साधु के भेष में था, तो सभी लोग सम्मान करते थे. करीब 2 साल से यह गौशाला में प्रभारी के रूप में कार्य कर रहा था."
सीबीआई की टीम पहुंची तो सच्चाई का पता चला
8 जुलाई, 2024 को अपने गुरु का स्वास्थ्य खराब होने की बोलकर यह व्यक्ति गौशाला से चला गया था. जब आश्रम में सीबीआई टीम पहुंची, तो इस व्यक्ति के सच के बारे में पता चला.सीबीआई की टीम संबंधित कागजात और जानकारी ली थी.
बैंक में कंप्यूटर ऑपरेटर था आरोपी
आरोपी घटना के समय राव हैदराबाद में भारतीय स्टेट बैंक की चंदूलाल बिरादरी शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत था .उस पर बैंक से 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा था. जब पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो वह गायब हो गया था. आरोपी 2004 से लापता था और कथित तौर पर लापता होने के 7 साल बाद राव को हैदराबाद सिविल कोर्ट ने उन्हें मृत घोषित करने का आदेश दिया.
भोपाल मं लोन रिकवरी एजेंट का काम किया
आरोपी सलेम भाग गया और उसने खुद को एम विनीत कुमार बताकर 2007 में एक महिला से शादी कर ली. 2014 में आरोपी सलेम से भोपाल आ गया, जहां उसने ‘लोन रिकवरी एजेंट' के रूप में काम किया. फिर उत्तराखंड के रुद्रपुर चला गया. आरोपी रुद्रपुर के एक स्कूल में काम करता था. जब सीबीआई की टीम रुद्रपुर पहुंची तो पता चला कि वह 2016 में फरार हो गया था और औरंगाबाद के वेरुल गांव स्थित एक आश्रम में चला गया था. आश्रम में उसका नाम विधितात्मानंद तीर्थ था. वहीं उसने आधार कार्ड भी बनवाया था. दिसंबर 2021 में उसने आश्रम से करीब 70 लाख रुपये की लूट की और वहां से चला गया. उसके बाद वह 23 जुलाई 2022 को भरतपुर स्थित अपना घर गौशाला में रह रहा था.