School Admissions: पहली क्लास में एडमिशन के लिए उम्र लिमिट 6 से 7 साल तय की गई है. 6 साल से कम उम्र के बच्चे पहली कक्षा में एडमिशन नहीं ले पाएंगे. उन्हें आंगनबाड़ी में प्रवेश लेना होगा. सरकारी हिन्दी मीडियम के स्कूलों में प्री-प्राइमरी क्लासेज नहीं हैं.
पहली कक्षा में एडमिशन कम रहने के आसार
पिछले साल तक तो पहली क्लास में एडमिशन दिया जाता था. लेकिन, नई गाइडलाइंस के मुताबिक अब 6 साल से कम उम्र के बच्चे को पहली क्लास में प्रवेश नहीं दिया जा सकेगा. इस मुद्दे पर शिक्षक नेताओं का कहना है कि एडमिशन के लिए ऐज लिमिट बढ़ा दिए जाने से पहली कक्षा में नामांकन कम रहने के आसार हैं. नए एडमिशन में दिक्कतें आ रही हैं.
"सरकार को 6 साल की उम्र लिमिट में देनी चाहिए छूट"
सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी क्लास नहीं होने से 5 साल से कम उम्र वाले ज्यादातर बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन लेना पड़ेगा. शिक्षक नेताओं का कहना है कि 10% नामांकन बढ़ोतरी का लक्ष्य तो दे दिया गया है. लेकिन, क्लास पहली में 6 साल की उम्र लिमिट से एडमिशन की संख्या में कमी आएगी, इसलिए सरकार को इसमें छूट देनी चाहिए.
"हिंदी स्कूलों में भी प्री-प्राइमरी शुरू करना चाहिए"
शिक्षकों का ये भी कहना है कि जिस तरह से महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में प्री-प्राइमरी क्लासेज हैं, उसी तर्ज पर हिन्दी मीडियम के स्कूलों में भी प्री-प्राइमरी शुरू करना चाहिए, ताकि पांच साल की उम्र के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढ़ सकें.
"बाल वाटिकाएं और आंगनबाड़ी में बच्चों को एडमिशन दिलवाएं"
अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार बोड़ा का कहना है कि शिक्षा के अधिकार के तहत पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र 6 साल ही निर्धारित की गई है, इसलिए पहली क्लास में इससे कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा सकता. 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सरकार की तरफ से हर जिले के हर वॉर्ड में आंगनबाड़ी खोली गई हैं, इसके अलावा हर जिले में बाल वाटिकाएं भी हैं. 6 साल से कम उम्र के बच्चों को वहां एडमिशन दिलवा कर उनकी पढ़ाई शुरू की जा सकती है.
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