सूखे के समय पशुओं के लिए वरदान से कम नहीं है ये घास, 5 साल तक नहीं सूखती, 200 बीघा में गया है लगाया

लाठी में महानरेगा के माध्यम से सेवण घास चारागाह का विकास किया गया है. यहां 200 बीघा में सेवण घास लगाई गई है. साथ ही 500 नीम के पौधे भी लगाए गए हैं.

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Sewan Grass: पश्चिमी राजस्थान में पाई जाने वाली सेवण घास पशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. सेवण घास (Sewan Grass)  ज्यादातर जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर क्षेत्रों में पाई जाती है. हालांकि कुछ समय पहले इसका उत्पादन कम हो गया था, लेकिन अब सरकार सेवण चारागाह क्षेत्र को भी विकसित कर रही है. हाल ही में जैसलमेर के पोकरण विधानसभा के ग्राम पंचायत लाठी क्षेत्र में महानरेगा के तहत सेवण घास चारागाह विकास कार्य करवाया गया है. जैसलमेर की जिला प्रभारी सचिव गायत्री राठौड़ को जैसलमेर दौरे के दौरान इसकी जानकारी मिली. इस संबंध में मुख्य कार्यकारी अधिकारी भागीरथ विश्नोई ने बताया कि लाठी में महानरेगा के माध्यम से सेवण घास चारागाह का विकास किया गया है. यहां 200 बीघा में सेवण घास लगाई गई है. साथ ही 500 नीम के पौधे भी लगाए गए हैं तथा वर्तमान में वृक्षारोपण के तहत सेवण घास तथा करीब 2000 देशी पौधे लगाने की योजना है.

जिला प्रभारी सचिव गायत्री राठौड़
Photo Credit: NDTV Reporter

पशुपालकों के लिए फायदेमंद है सेवण ( Benefits Of Sewan Grass)

सीमावर्ती इलाकों में बारिश की कमी और लगातार पड़ रहे सूखे के कारण यहां के पशुपालकों के लिए सेवण घास काफी फायदेमंद साबित हो रही है. सेवण घास का वैज्ञानिक नाम लैसियुरस सिडिकस है, जो बारहमासी घास की श्रेणी में शामिल है. यह 'किंग ऑफ डेजर्ट' के नाम से प्रसिद्ध है. कई साल पहले यह रेगिस्तान में पशुओं का मुख्य आहार रहा है. इसके सिमटते क्षेत्रफल का असर पशुधन के स्वास्थ्य पर साफ दिखाई दे रहा है. सेवण घास को पशुधन के लिए सबसे पौष्टिक आहार माना जाता है, लेकिन इसकी उपलब्धता दिनोंदिन दुर्लभ होती जा रही है. यही वजह है कि अब महानरेगा के तहत इसके खेतों को विकसित किया जा रहा है.

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 5 - 6 साल तक नहीं सूखती इसकी जड़े

सेवण घास की खासियत यह है कि इसकी जड़ 5 से 6 साल तक नहीं सूखती. इतना ही नहीं, इसमें प्रोटीन और विटामिन की मात्रा अधिक होने से यह गाय, बकरी, भैंस और अन्य पशुधन के लिए पौष्टिक है. घास उगने के बाद पशुपालक इसे सुखाकर लंबे समय तक भंडारण कर सकते हैं. यह संग्रहीत सेवण अकाल जैसी परिस्थितियों में काम आ सकता है. सीमावर्ती क्षेत्र के रेतीले टीलों पर पशुओं के लिए अधिक प्राकृतिक भोजन उपलब्ध नहीं है. जबकि रेगिस्तानी क्षेत्र में गाय, भैंस, भेड़, बकरी व अन्य पशुधन के लिए सेवण घास पौष्टिक आहार है. ग्रामीण क्षेत्रों में इससे झोपड़ियां सजाई जाती हैं, जो लंबे समय तक खराब नहीं होतीं और गर्मियों में ठंडी व सर्दियों में गर्म रहती हैं.

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