Shardiya Navratri 2024: तनोट माता के आगे नतमस्तक हो गया था पाकिस्तानी ब्रिगेडियर, सीमाओं पर करती हैं जवानों की रक्षा 

Shardiya Navratri 2024 Tanot Mata: जैसलमेर जिले से लगभग 130 किलोमीटर दूर सरहद पर 'तनोट' नाम का गांव है, जंहा एक देवी का ऐसा मंदिर है जो 1965 और 1971 के युद्ध में देश के जवानों की रक्षक बनीं. युद्ध वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं.

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Shardiya Navratri 2024 Tanot Mata:  1250 वर्ष पुराने मां तनोटराय का मंदिर है. मामडिया चारण की पुत्री देवी आवड़ को तनोट माता के रूप में पूजा जाता है.अ पुराने चारण साहित्य के अनुसार तनोट माता, हिंगलाज माता की अवतार हैं, जिनका प्रसिद्ध मंदिर बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में है. भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने विक्रम सवंत 828 में तनोट का मंदिर बनवाकर मूर्ति को स्थापित किया था. भाटी और जैसलमेर के पड़ोसी क्षेत्रों के लोग तनोट माता की पूजा करते हैं.

भारतीय सेना का मंदिर से गहरा संबंध  

राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर का तनोट माता मंदिर न सिर्फ हिंदू धर्मावलंबियों बल्कि हर भारतीय के दिल में खास स्थान रखता है. भारत पाकिस्तान युद्ध से जुड़ी कई यादें इससे जुड़ी हुई हैं. भारतीय सेना का भी इस मंदिर से गहरा संबंध है. सरहद पर बना यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र के साथ साथ भारत-पाक के 1965 व 1971 के युद्ध का मूक गवाह भी रहा है.

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सेना के जवान तनोट माता के मंदिर की रक्षा करते हैं.

450 मंदिर परिसर में गिरे, लेकिन एक भी नहीं फटा 

भारत-पाक युद्ध में दुश्मन के तोप से बम बरसाए जा रहे थे. तनोट की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियां दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थी.1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम से भी इस मंदिर का कुछ नहीं हुआ, यहां तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं. माता के बारे में कहा जाता है कि युद्ध के समय माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सेना को इस कदर उलझा दिया था कि रात के अंधेरे में पाक सेना अपने ही सैनिकों को भारतीय सैनिक समझ कर उन पर गोलाबारी करने लगे. पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा.

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भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान मंदिर परिसर में गिरे बम एक भी नहीं फटा. जिंदा बम की तस्वीर है.

नतमस्तक हुए थे पाकिस्तानी ब्रिगेडियर

1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान नतमस्तक हो गया था. इसके बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान तनोट राय माता मंदिर के दर्शन के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी. बताया जाता है कि करीब ढाई साल बाद उसे दर्शन को अनुमति मिली. इसके बाद शाहनवाज खान ने माता की प्रतिमा के दर्शन किए और मंदिर चांदी का छत्र भी चढ़ाया, जो आज भी मंदिर में है.

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BSF ने संभाल रखा है माता की पूजा-अर्चना का जिम्मा 

बीएसएफ ने यहां अपनी चौकी बनाई है. बीएसएफ के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं. मंदिर की सफाई से लेकर पूजा-अर्चना और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाने तक का सारा काम अब बीएसएफ बखूबी निभा रही है. बीएसएफ ने यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं भी जुटा रखी है.

तनोट माता मंदिर में राजनीतिक हस्तियां भी माथा टेकने आते हैं. सीएम भजनलाल शर्मा ने पूजा-अर्चना की थी.

देश की राजनितिक हस्तियां टिकाते हैं माथा

प्रदेश और देश की बड़ी राजनितिक हस्तियां भी इस मंदिर में माथा टेकने आती हैं. चुनाव के दौरान अक्सर नेता आकर जीत के लिए मां से प्रार्थना करते हैं. प्रदेश के सीएम भजनलाल शर्मा, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया और पूर्व सीएम अशोक गहलोत  मत्था टेकने आते हैं.  

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