शीशराम ओला: देश के एकमात्र राजनेता, जो 5 बार सांसद और 8 बार विधायक चुने गए

1996 में ओला ने 11वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़कर झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से तिवाड़ी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी व केन्द्रीय मंत्री कैप्टन अयूब खान को हराकर लोकसभा में प्रवेश किया. उसके बाद उन्होंने लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीत कर एक रिकॉर्ड बनाया.

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फाइल फोटो

शीशराम ओला भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता हैं, जिन्हें सदैव किसानों के सच्चे हितैषी के रूप में याद किया जाता रहेगा, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में पांच बार सांसद, आठ बार विधायक और दो बार जिला प्रमुख का चुनाव जीत कर कुल 15 चुनाव जीतने वाले का रिकॉर्ड बनाया है  ओला का राजनीतिक जीवन 1957 से शुरू हुआ और झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से लगातार पांच बार चुनाव जीत का रिकार्ड भी उनके नाम ही दर्ज है.

शीशराम ओला का जन्म 30 जुलाई,1927 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के अरड़ावता गांव में एक किसान मंगलाराम के घर हुआ था. घर में आर्थिक अभाव के कारण शीशराम ओला मैट्रिक तक की पढ़ाई करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हो गए. उन्होंने सेना की ओर से द्वितीय महायुद्ध में भाग लिया. उस समय समाज में  महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी, जिसका मूल कारण था महिलाओं का अशिक्षित होना. 

समाज में महिलाओं की दशा सुधारने का संकल्प लेकर ओला ने सेना से त्यागपत्र देकर समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखा. सबसे पहले वे 1948 में अपने गांव अरड़ावता के सरपंच चुने गए. 1951 तक सरपंच रहे, इसी दौरान उन्होंने महिला शिक्षा की दिशा में कार्य करने का बीड़ा उठाते हुए 1952 में अपने पैतृक गांव अरड़ावता में इन्दिरा गांधी बालिका निकेतन के रूप में क्षेत्र में पहली बालिका स्कूल की स्थापना की.

इन्दिरा गांधी बालिका निकेतन का उद्घाटन 10 अक्टूबर 1952 को देश के प्रथम थलसेना अध्यक्ष जनरल केएम करिअप्पा के हाथों करवा कर राजस्थान में महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मशाल जलायी. मात्र तीन बालिकाओं से शुरू किया गया यह स्कूल आज डिग्री कॉलेज बन चुका है. यहां कई व्यावसायिक व अन्य उच्चतर विषय पढ़ाए जाते हैं.  वर्तमान में यहां तीन हजार से अधिक छात्राएं अध्यनरत हैं. लाखों छात्राएं अपनी शिक्षा पूरी कर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं.

पहली बार खेतड़ी से चुने गए विधायक, पिलानी व झुंझुनूं से भी जीते

ओला की समाजसेवा व सक्रियता को देखकर कांग्रेस पार्टी ने उनको 1957 में पहली बार खेतड़ी से विधानसभा का टिकट दिया, जिसमें वे विजयी हुए. शीशराम ओला ने 1957 लेकर 1993 तक लगातार दस बार राजस्थान विधानसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें दो बार को छोडक़र उन्होंने आठ बार जीत दर्ज की.

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1967 के विधानसभा चुनाव में ओला खेतड़ी से हार गए

उन्होंने पहला चुनाव 1957 में खेतड़ी से जीता. 1962 का चुनाव भी खेतड़ी से जीता. 1967 के चुनाव में वे हार गए, लेकिन वे दो साल बाद 1969 में हुए उपचुनाव में फिर से जीत गए. इसके बाद उन्होंने 1972 व 1977 का विधानसभा चुनाव पिलानी सीट से जीता. 1980, 1985 और 1993 के विधानसभा चुनावों में झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए.

ओला 18 फरवरी 1981 से 1990 तक राजस्थान सरकार में जगन्नाथ पहाड़िया, शिवचरण माथुर, हीरालाल देवपुरा व हरिदेव जोशी के नेतृत्व वाली सरकारों में जलदाय, वन एवं पर्यावरण, पंचायतीराज व ग्रामीण विकास, सैनिक कल्याण, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना, परिवहन, यातायात, सहकारिता, आबकारी, भू-जल, सिंचाई सहित कई विभागों के मंत्री रहे. ओला 1962 से 1977 तक दो बार झुंझुनूं के जिला प्रमुख भी रहे.

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1996 में पहली बार झुंझुनूं सीट से 11वीं लोकसभा में पहुंचे

1996 में ओला ने 11वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़कर झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से तिवाड़ी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी व केन्द्रीय मंत्री कैप्टन अयूब खान को हराकर लोकसभा में प्रवेश किया. उसके बाद उन्होंने लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीत कर एक रिकॉर्ड बनाया दिया. ओला को 28 जून 1996 को पीएम देवेगौड़ा की सरकार में स्वतंत्र प्रभार के उर्वरक व रसायन राज्य मंत्री बनाया गया.

1997-98 में इन्द्र कुमार गुजराल की सरकार में उन्हें स्वतंत्र प्रभार का जल संसाधन राज्य मंत्री बनाया गया. 23 मई 2004 से 27 नवम्बर 2004 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए वन सरकार में श्रम एवं रोजगार विभाग के केबीनेट मंत्री रहे. 27 नवम्बर 2004 से 22 मई 2009 तक खान विभाग के केबीनेट मंत्री रहे. उन्हें 2010 में लोकसभा में कांग्रेस कांग्रेस संसदीय दल का उपनेता मनोनीत किया गया था. सितम्बर 2013 में उन्हें पुन: केन्द्रीय मंत्रीमंडल में श्रम व रोजगार मंत्री बने.

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. शीशराम ओला ने अपनी जिन्दगी में एक सपना देखा था कि झुंझुनूं जिले में भी नहर के पानी से फसलों की सिंचाई हो, ताकि हरियाणा की तरह राजस्थान के शेखावटी क्षेत्र के किसान भी खुशहाल बन सकें, लेकिन उनके जीते जी नहर का पानी झुंझुनूं जिले में नहीं आ पाया. 

महिला शिक्षा व सामाजिक कार्यों के लिए पद्‌म श्री से सम्मानित हुए

ओला को उनके सामाजिक क्षेत्र में किये गये विशेष कार्यों के लिए सरकार द्वारा उन्हें 1968 में पद्‌म श्री से सम्मानित किया गया. 1972 से अपनी मृत्यु तक ओला अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के लगातार सदस्य रहे. वे राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष व किसान सेल के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 15 दिसम्बर 2013 को ओला का केन्द्रीय सरकार में केबीनेट मंत्री पद पर रहते हुए नई दिल्ली में निधन हो गया था.

ओला के बड़े पुत्र बृजेन्द्र सिंह ओला वर्तमान में झुंझुनूं से विधायक हैं और राज्य सरकार में परिवहन व सड़क सुरक्षा मंत्री हैं. उनकी पुत्रवधु राजबाला झुंझुनूं की जिला प्रमुख रह चुकी हैं. शीशराम ओला ने अपनी जिन्दगी में एक सपना देखा था कि झुंझुनूं जिले में भी नहर के पानी से फसलों की सिंचाई हो, ताकि हरियाणा की तरह राजस्थान के शेखावटी क्षेत्र के किसान भी खुशहाल बन सकें, लेकिन उनके जीते जी नहर का पानी झुंझुनूं जिले में नहीं आ पाया. 

शेखावटियों के लिए हमेशा खुला रहता था उनका निवास

राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले शीशराम ओला की याददाश्त बहुत ही अद्भुत थी. एक बार जिससे मिल लेते थे, 10 वर्ष बाद भी उसको भूलते नहीं थे. व्यक्ति का नाम और गांव छूटते ही बता देते थे. दिल्ली स्थित उनके निवास पर झुंझुनूं जिले व शेखावाटी क्षेत्र से आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कोई रोक-टोक नहीं थी. कोई गेटकीपर नहीं था, आने वाला व्यक्ति सीधे बेडरूम में जाए और अपना काम बताएं. जब तक कार्य पूरा नहीं हो, तब तक दिल्ली में रहना और खाने- पीने का इंतजाम उनके निवास स्थान पर किया जाता था.

झुंझुनूं से विधायक हैं ओला के बड़े पुत्र बृजेंद्र 

पद‌्‌मश्री शीशराम ओला के बड़े पुत्र बृजेन्द्र सिंह ओला वर्तमान में झुंझुनूं से विधायक हैं और राज्य सरकार में परिवहन व सड़क सुरक्षा मंत्री हैं. उनकी पुत्रवधु राजबाला झुंझुनूं की जिला प्रमुख रह चुकी हैं. एक जुलाई 1953 को अरड़ावता में जन्में बृजेंद्र ओला तीसरी बार झुंझुनूं से विधायक चुने गए हैं. वे पहली बार 2008 में विधायक चुने गए. इसके बाद लगातार 2013 व 2018 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं.अब 2023 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी उन्हें फिर से झुंझुनूं सीट से प्रत्याशी बनाने का मानस बना चुकी है. 

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