शीतला अष्टमी आज, पूजन के लिए तैयार किए पुए-पकोड़ी और दही बड़े, महिलाएं करती हैं ठंडा भोजन

सी मान्यता है कि यह त्योहार दुर्गा और पार्वती मां की अवतार देवी शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है और एक दिन पहले बनाए पुए-पकोड़ी, पूड़ी आदि व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. इसे बासोड़ा पर्व भी कहते हैं.

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Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी का हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अपना अलग महत्व है. इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर शीतला माता जी के मंदिर में सप्तमी के दिन घर में बनाए पुए-पकोड़ी, पूड़ी आदि व्यंजनों का भोग लगाती हैं और पूरे दिन पूजा के बाद ठंडा भोजन करती हैं. इस भोजन को स्थानीय भाषा मे 'बसोड़ा' भी कहा जाता है. शीतला अष्टमी का यह त्योहार हर साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.

ऐसी मान्यता है कि यह त्योहार दुर्गा और पार्वती मां की अवतार देवी शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है और एक दिन पहले बनाए पुए-पकोड़ी, पूड़ी आदि व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. इसे बासोड़ा पर्व भी कहते हैं. सप्तमी के दिन टोंक में शीलता माता मंदिर में भजन संध्या का आयोजन किया गया.

आरोग्य होने का आशीर्वाद देती हैं माता 

ऐसी मान्यता है कि, शीतला अष्टमी पर शीतला माता की पूजा अर्चना करने से रोगों से मुक्ति मिलती है, लेकिन शीतला सप्तमी या अष्टमी के दिन माता को बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है? वैज्ञानिक दृष्टि से देखे तो शीतला अष्टमी सर्दियों का मौसम खत्म होने का संकेत होता है. इसे इस मौसम का आखिरी दिन माना जाता है. ऐसे में शीतला माता को इस दिन बासी खाने का भोग लगाया जाता है और उसके बाद बासी खाना उचित नहीं माना जाता है. मान्यता है कि शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाने से प्रसन्न होती हैं और भक्तों को निरोग रहने का आशीर्वाद देती हैं.

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घरो में महिलाएं क्या-क्या बनाती हैं बसोड़ा में 

शीतला अष्टमी पर शीतला माता जी की पूजा और इस दिन खाने के लिए ठंडे भोजन में अलग अलग तरह के व्यंजन बनाने का राजस्थान में रिवाज है. जिसमे महिलाएं पुए, पकोड़ी, पूड़ी, राबड़ी, कांजी बड़ा, चावल का आल्या, सुखी सब्जी, दही बड़ा के साथ ही हलवा पूड़ी जैसे व्यंजन बनती हैं. 

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