Rajasthan News: बांरा समेत राजस्थान के 9 आदिवासी जिलों के 10 हजार से अधिक लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. गंभीर बीमारी का नाम है कि सिकल सेल, जो इतनी खतरनाक है कि यह खून में हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ने नहीं देता. इसके साथ ही यह धीरे-धीरे शरीर के अंगों को भी कमजोर कर देती है. इससे बहुत कम उम्र में मौत भी हो जाती है. ध्यान देने वाली बात है कि इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा महिलाएं आ रही हैं. स्वास्थ्य विभाग की दिसंबर-2024 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में कुल 2980 रोगियों में से 1590 महिलाएं पॉजिटिव हैं.
सिकल सेल बीमारी से ग्रसित लोगों को अलग कार्ड
पहचान पत्र के लिए देश में आधार कार्ड, वोटर आईडी या पासपोर्ट लोग अपने पास रखते हैं. हालांकि, राजस्थान में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनकी पहचान आधार कार्ड, वोटर आईडी या पासपोर्ट से नहीं, बल्कि गुलाबी और नीले कार्ड से होती है. गुलाबी और नीले कार्ड राजस्थान के 9 जिले के 10,746 लोगों के पास हैं. इन लोगों को जेनेटिक काउंसलिंग आईडी कार्ड (GCID) दिया जाता है. जिन लोगों को जेनेटिक काउंसलिंग आईडी कार्ड दिया जाता है, वे लाइलाज सिकल सेल बीमारी के रोगी माने जाते हैं.
7,766 लोगों में इसके शुरुआती लक्षण
ताजा सर्वे के मुताबिक, राजस्थान के बारां, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, पाली, सिरोही, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर जिले में सिकल सेल बीमारी के 2980 केस मिले हैं. यह बीमारी सबसे ज्यादा आदिवासी इलाकों में फैल रही है. 23 जनवरी को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान के 9 जिलों में 7,766 लोगों में इसके शुरुआती लक्षण मिले हैं. बारां जिले में कुल 90 हजार संभावित लक्षणों वाले लोगों की जांच में मात्र 2 मरीज मिले हैं.
बारां में 90 हजार की जांच में 2 पॉजिटिव
सिकल सेल बीमारी पर बारां जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ नरेन्द्र मेघवाल का कहना है कि यह अनुवांशिक बीमारी है. महिला या पुरूष दोनों में से कोई एक भी अगर इस बीमारी से ग्रसित है तो यह उत्पन्न होने वाली संतान के साथ आगे की पीढ़ी में परिवर्तित हो जाती है. सीएमएचओ डॉ संजीव सक्सेना ने बताया कि जनवरी माह में सम्भावित लक्षण वालों लोगों की जांच की गई. जहां बारां जिले में 90 हजार लोगों की जांच की गई जिसमें से दो मरीज सामने आये हैं. जिनका उपचार जारी है.
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