27 साल बाद जंजीरों से मिली मुक्ति, मंत्री की पहल पर सीताराम जांगिड़ का इलाज शुरू, नम हुईं बुढ़ी मां की आंखें

राजस्थान में 27 साल बाद एक व्यक्ति को मंत्री के पहल से जंजीरों से मुक्ति मिली. परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर था. बच्चे को जंजीर से मुक्त होते देख बूढ़ी मां के आंखो से आंसू छलक पड़े. 

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जंजीरों से आजाद हुए सीताराम जांगिड़

Rajasthan News: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के कैबिनेट मंत्री और झुंझुनूं जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत की संवेदनशीलता सामने आई है. उन्होंने केहरपुरा खुर्द के 27 वर्ष से जंजीरों में कैद 60 वर्षीय सीताराम जांगिड़ को आजाद करवाया और एंबुलेंस के ज़रिए मनोचिकित्सालय जयपुर के लिए भिजवाया. मंत्री अविनाश गहलोत ने बताया की मानसिक रूप से कमजोर सीताराम जांगिड़ का समस्त ईलाज सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के खर्चे पर ही करवाया जाएगा. इस पूरे मामले को जानने के लिए NDTV की टीम सीताराम जांगिड़ के घर पहुंची और सीताराम जांगिड़ को जंजीरों में जकड़ने के पीछे के राज को जाना.

सभी जरूरत जंजीरों में होती थी पूरी

सीताराम की 85 वर्षीय मां नानू देवी आंखों में आंसू लिए बताती है कि उनका बेटा मलेशिया कमाने गया था. जब लौटा तो उसकी मानसिक स्थिति खराब हो गई. तब से लेकर अब तक क़रीब 27 साल हो गए उसको जंजीरों में जकड़े हुए हैं. सर्दी, गर्मी, बरसात मौसम चाहे कैसा भी हो सीताराम को जंजीरों से जकड़ कर अंदर ही रखना पड़ता हैं. जब-जब उसको जंजीरों से खोला गांव मोहल्ले से मारपीट की शिकायत आने लगी. अब उसकी हर जरूरत जंजीरों में बंधे हुए ही पूरी करती हूं.

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सीताराम जांगिड़ 4 भाइयों में तीसरा नंबर का भाई है. बड़े भाई और पिता की मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते सीताराम का इलाज रुक गया. अब 27 साल से सीताराम को जंजीरों में जकड़ा हुआ है.

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अविनाश गहलोत का परिजनों ने जताया आभार

सीताराम के भतीजे कुलदीप ने बताया की उनकी चाचा की सेवा मैं और दादी मां ही करते हैं. उनको नहलाना, खाना खिलाना, बाकी दिनचर्या के कामों को हम मिलकर करते हैं. उनकी चौकीदारी के लिए हर वक्त घर के मेंबर की जरूरत रहती है. प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत की संवेदनशीलता की सहारना करते हुए कहा की अगर चाचा की तबियत ठीक होती है तो हमारे घर में 1 मेंबर और बढ़ जाएगा और हमे खुशी मिलेगी.

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पड़ोसी नवीन जांगिड़ बताते है की सीताराम जांगिड़ की पिछले कई महीनों से पेंशन रुकी हुई थी. जब कल प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत को मामले का पता चला तो वो प्रचार छोड़ कर घर आए और सीताराम को जंजीरों से खुलवा कर जयपुर भेजें और उनकी पेंशन चालू करवाई.

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