SOG Action: जूनियर इंजीनियर भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में रेलवे का कर्मचारी गिरफ्तार, माफिया भूपेंद्र सारण का है सहयोगी

SOG Action in Jaipur: राजस्थान में पेपर लीक के मामले में एसओजी का एक्शन लगातार जारी है. गुरुवार को एसओजी ने जयपुर से एक रेलवे कर्मचारी को पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार किया है.

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जूनियर इंजीनियिर भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार रेलवे का कर्मचारी कमलेश मीणा.

SOG Action in Jaipur: राजस्थान सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के लिए कुख्यात है. लेकिन बीते कुछ महीनों से यहां राजस्थान पुलिस की विशेष टीम एसओजी पेपर लीक के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है. इसी कड़ी में गुरुवार को जयपुर में एसओजी ने कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा 2020 (Junior Engineer recruitment exam 2020) के पेपर लीक मामले में एक रेलवे कर्मचारी को गिरफ्तार किया है. आरोपी की पहचान कमलेश मीणा के रूप में हुई है. कमलेश अजमेर के कैरिज कारखाने में तैनात था. 

अजमेर के कैरिज कारखाने में टेक्नीशियन के पद पर तैनात था कमलेश

एसओजी से मिली जानकारी के अनुसार कमेलश मीणा पेपर लीक माफिया भूपेंद्र सारण और अनिल मीणा का सहयोगी था. एसओजी ने कमलेश को जयपुर के पानीपेच से गिरफ्तार किया था. कमलेश अजमेर के कैरिज कारखाने में ग्रुप डी टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत था. कमलेश पर जनवरी में ही वारंट जारी किया गया था. वह तभी से फरार चल रहा था.

माफिया भूपेंद्र सारण और अनिल मीणा का सहयोगी है कमलेश

कमलेश और अनिल के गांव आसपास में हैं. कमलेश के पिता की शराब की दुकान थी. यहां भूपेंद्र और अनिल अक्सर आते थे. भूपेंद्र अक्सर महंगी शराब खरीदता था. धीरे धीरे कमलेश और भूपेंद्र की जान पहचान हो गई. भूपेंद्र सारण भी पहले रेलवे में काम करता था. इसलिए दोनों की दोस्ती बढ़ गई. 

जूनियर इंजीनियर भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कराने की योजना में सभी शामिल थे. भूपेंद्र ने एक नया फोन लेकर कमलेश को दिया. कमलेश ने यह फोन अनिल को दिया. इसी फोन से अनिल ने प्रश्न पत्र भूपेंद्र को भेजा था. एसओजी कमलेश की दूसरी परीक्षाओं के पेपर लीक में भूमिका की जांच कर रही है. 

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PTI और वरिष्ठ अध्यापक भर्ती मामले में आरोपियों से पूछताछ में हुआ खुलासा

एसओजी ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा में डमी कैंडिडेट बनकर बैठे कमल बिश्नोई को गिरफ्तार किया था. साथ ही 3 पीटीआई को भी एसओजी ने गिरफ्तार किया था. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने फर्जी डिग्री लगाने के साथ-साथ डमी कैंडिडेट भी बिठाए थे. इसके लिए उन्होंने बीस लाख तक की रकम चुकाई थी.

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