जीते-जी मां ने लिया था देहदान का संकल्प, बेटे ने पूरी की अंतिम इच्छा, अब उनकी डेडबॉडी पर शोध करेंगे छात्र

मृतका के बेटे शुभम छाबड़ा ने अपनी मां की अंतिम इच्छा को पूरा किया. शुभम छाबड़ा ने बताया कि मां ने जीवित रहते देहदान का संकल्प लिया था.

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जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी के साथ मृतका के पुत्र शुभम.

देहदान को महादान कहा जाता है. मेडिकल साइंस और कई स्वंयसेवी संस्थाएं लोगों से देहदान के लिए प्रेरित करती है. इसका असर भी अब होने लगा है. इसका ताजा उदाहरण राजस्थान के बूंदी जिले से सामने आया है. जहां बूंदी मेडिकल कॉलेज के लिए पहली डेड बॉडी डोनेट की गई है. यह डेड बॉडी 100 मेडिकल स्टूडेंट के लिए रिसर्च का माध्यम बनेगी. यहां जिले के केशवरायपाटन के वार्ड संख्या 9 निवासी पिंकी छाबडा पत्नी स्व. परमजीत छाबड़ा ने अपना शरीर दान करने का संकल्प लिया था. शुक्रवार को 53 वर्षीय पिंकी छाबडा की मृत्यु होने के बाद पुत्र शुभम छाबडा, पुत्रवधु छाया छाबडा एवं स्वजनों ने शरीर को खुशी-खुशी विदा किया.

पुत्र शुभम ने मेडिकल कॉलेज को डोनेट किया डेड बॉडी

उनके पुत्र शुभम छाबडा, पुत्रवधु छाया छाबड़ा एवं परिवारजनों ने मां की इच्छा का सम्मान किया. शुक्रवार शाम पिंकी छाबडा के पार्थिव शरीर को पुत्र शुभम ने बूंदी के मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना किया. पुत्र शुभम ने मां को अंतिम विदाई दी. जब बूंदी जिला कलेक्टर को बॉडी डोनेट करने का मामला पता लगा तो खुद जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी पोस्टमार्टम भवन पहुंच गए और परिजनों का ढाढ़स बढ़ाते हुए उनके इस पुनीत कार्य को सराहा.

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मेडिकल विद्यार्थियों को शोध में मिलेगी सहूलियत

जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने पिंकी छाबड़ा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बूंदी जिले में मेडीकल कॉलेज के लिए पहला देहदान हुआ है. इससे मेडिकल के विद्यार्थियों को शोध में काफी मदद मिलेगी, उन्होंने कहा कि यह दुख की घडी है. देहदान के उनके फैसले के लिए पूरा बूंदी जिला उनका आभारी है.

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शरीर दान की मुहिम से लोगों में होगी जागरूकता

पिंकी छाबडा का मृत शरीर आवश्यक कार्रवाई के बाद मेडिकल कालेज को सौंप दिया गया. मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डॉ. विजय नायक चिकित्सक ने बताया मेडिकल कालेज के छात्र उनके शरीर पर शोध करेंगे. शरीर दान की इस मुहिम से आमजन में जागरूकता आएगी. 

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मां ने जीवित रहते देहदान का लिया था संकल्प

मृतका के बेटे शुभम छाबड़ा ने अपनी मां की अंतिम इच्छा को पूरा किया. शुभम छाबड़ा ने बताया कि मां ने जीवित रहते देहदान का संकल्प लिया था और अस्पताल में अंतिम क्षण उनकी अंतिम इच्छा यही थी कि उनका संकल्प को पूरा किया जाए, मां की इस बात को ध्यान रखते हुए मैंने उनकी बॉडी को डोनेट किया है.

शुभम छाबड़ा, पुत्रवधु छाया छाबड़ा एवं परिवार की सहमति के माध्यम से मानव सेवार्थ एवं मेडिकल कॉलेज विद्यार्थियों के अनुसंधान एवं रिसर्च के लिए देहदान संकल्प पत्र भरकर भारत विकास परिषद को दिया. मृतका ने पहले ही देहदान व नेत्र दान करने का संकल्प ले रखा था. इस दौरान प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रभाकर विजय भी मौजूद रहे.

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