Rajasthan Politics: 'जासूसी कैमरों का एक्सेस सिर्फ स्पीकर के पास', राज्यपाल से मिलकर टीकाराम जूली बोले- 'तुरंत विधानसभा सीज कर...'

Rajasthan Assembly CCTV Row: कांग्रेस का आरोप है कि ये कैमरे विधायकों की निजता का हनन कर रहे हैं. हालांकि, विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.

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राजस्थान विधानसभा में 'स्पाई कैमरा' विवाद: टीकाराम जूली ने जांच के लिए सर्वदलीय कमेटी की मांग की

Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में विधायकों की निजता के हनन (Violation of Privacy of Legislators) को लेकर एक गंभीर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली (Tika Ram Jully) ने विधानसभा के भीतर दो अतिरिक्त कैमरे लगाए जाने को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने इन कैमरों को 'स्पाई कैमरे' (जासूसी करने वाले कैमरे) बताते हुए कहा है कि इन्हें कांग्रेस विधायकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगाया गया है. इस मामले को लेकर कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल टीकाराम जूली के नेतृत्व में गुरुवार को राज्यपाल हरिभाऊ बागडे (Haribhau Bagade) से मिला और उन्हें इस पूरे मामले की शिकायत करते हुए एक ज्ञापन सौंपा.

'विधायकों की आवाज रिकॉर्ड करते हैं'

यह विवाद तब शुरू हुआ जब नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने विधानसभा सत्र के दौरान सदन में इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने सवाल किया कि सदन में दो नए कैमरे किसकी अनुमति से और किस फंड से लगाए गए हैं. उनका आरोप है कि ये कैमरे विधायकों की आवाज भी रिकॉर्ड करते हैं, भले ही सदन चल रहा हो या नहीं. जूली ने कहा कि विधानसभा में हमेशा से कैमरे लगे होते हैं, जिनका एक्सेस सभी के पास होता है, लेकिन ये दो नए कैमरे अलग हैं.

'इमरजेंसी फंड से कैमरे लगे, स्पीकर के रेस्ट रूम में एक्सेस'

जूली के अनुसार, इन नए कैमरों का एक्सेस सिर्फ विधानसभा स्पीकर के पास है और इसका कंट्रोल उनके रेस्ट रूम में है. उन्होंने कहा कि ये कैमरे 'कंप्लीट रिकॉर्डिंग सिस्टम' के साथ लगाए गए हैं, जिनकी कीमत 18 लाख 46 हजार रुपये है. जूली ने यह भी दावा किया कि इन कैमरों का भुगतान विधानसभा के इमरजेंसी फंड से किया गया है, जो एक गंभीर अनियमितता है. उन्होंने स्पीकर के इस बयान पर भी सवाल उठाया कि कैमरों को सिर्फ 'अपग्रेड' किया गया है. जूली ने कहा कि 'अपग्रेड' करना और 'अतिरिक्त कैमरे' लगाना दो अलग-अलग बातें हैं.

'राज्यपाल के सामने सभी सबूत और तथ्य पेश किए'

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए टीकाराम जूली के साथ उपनेता रामकेश मीणा, सचेतक रफीक खान और अन्य कांग्रेस विधायक राजभवन पहुंचे. उन्होंने राज्यपाल हरिभाऊ बागडे को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने इन नए कैमरों और विधायकों की निजता के हनन के मामले की जांच की मांग की. मीडिया से बात करते हुए जूली ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को सभी सबूत और तथ्य पेश किए हैं. उन्होंने सदन में सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक योगेश्वर गर्ग और गोपाल शर्मा द्वारा की गई टिप्पणियों को लेकर भी शिकायत की.

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'विधानसभा सीज कराकर सर्वदलीय कमेटी से जांच'

टीकाराम जूली ने राज्यपाल से मांग की किविधानसभा को तत्काल सीज कर दिया जाए और इस मामले की जांच के लिए एक सर्वदलीय कमेटी बनाई जाए. इस कमेटी में सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ-साथ BAP, BSP, और लोक दल जैसे दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हों. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जांच को और निष्पक्ष बनाने के लिए हाई कोर्ट के एक रिटायर जज को भी इस कमेटी में शामिल किया जाए. राज्यपाल ने इस मामले की जांच का आश्वासन दिया है.

'स्पीकर का कहना है गलत है, जासूसी हो रही है'

टीकाराम जूली ने इस पूरे विवाद को राजस्थान विधानसभा की गौरवशाली परंपराओं के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा, 'हमें दुख से कहना पड़ रहा है कि विधानसभा की परंपराएं गौरवशाली रही हैं और सदन के भीतर कोई भी सदस्य, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का या फिर स्पीकर, अगर कोई बात कहते हैं तो बड़ी जिम्मेदारी से कहते हैं.' उन्होंने कहा कि स्पीकर का यह कहना कि 'किसी की निजता का हनन नहीं हुआ है और न होगा', सही नहीं है, क्योंकि ये कैमरे जासूसी कर रहे हैं. जूली ने सरकार के मुख्य सचेतक और एक अन्य नेता द्वारा की गई टिप्पणियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी लगाया है.

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