Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी (Mahesh Joshi) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है. जल जीवन मिशन (JJM) में कथित तौर पर 979.45 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में गिरफ्तार जोशी को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार सुबह जमानत दे दी है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई गिरफ्तारी के बाद से वह न्यायिक हिरासत में थे.
महेश जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसी साल 24 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया था. उनकी जमानत याचिका पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी जमानत?
जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने जोशी को जमानत देने का फैसला किया. इस मामले में पहले 16 सितंबर को ED को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण तर्कों और तथ्यों पर विचार करते हुए जमानत मंजूर की. कोर्ट ने पाया कि महेश जोशी लगभग 7 महीने से जेल में हैं. कोर्ट को बताया गया कि अभी तक ट्रायल शुरू होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है. जोशी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और विवेक जैन ने तर्क दिया कि इस मामले में सभी सह-अभियुक्तों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, इसलिए जोशी को भी समानता के सिद्धांत (Principle of Parity) के आधार पर जमानत मिलनी चाहिए.
जोशी की दलीलें, 'रिश्वत नहीं, लोन था'
सुप्रीम कोर्ट में महेश जोशी के वकीलों ने ED के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए मजबूत दलीलें पेश कीं. कोर्ट को बताया गया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में दर्ज मूल केस (FIR) में उनका नाम तक नहीं है. ED उन पर ₹2.01 करोड़ लेने का आरोप लगा रही है, लेकिन इसके कोई ठोस सबूत नहीं है. ED ने महेश जोशी के बेटे की फर्म में ₹50 लाख के लेनदेन की बात कही थी. वकीलों ने स्पष्ट किया कि यह राशि लोन के तौर पर ली गई थी और इसे लौटाया जा चुका है. वकीलों ने तर्क दिया कि यदि यह पैसा रिश्वत के तौर पर लिया गया होता, तो इसे वापस क्यों किया जाता? यह साबित करता है कि यह लेनदेन रिश्वत का नहीं था. इन तमाम दलीलों और तथ्यों पर विचार करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर कर ली.
दोपहर बाद होगी रिहाई की प्रक्रिया शुरू
सुप्रीम कोर्ट से जमानत मंजूर किए जाने के बाद अब महेश जोशी के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है. जानकारी के अनुसार, दोपहर बाद तक विस्तृत आदेश की कॉपी जेल प्रशासन को मिल सकती है. आदेश प्राप्त होने के बाद रिहाई की आवश्यक न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?
यह मामला राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत हुए एक बड़े कथित घोटाले से जुड़ा है, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है. ED का आरोप है कि जल जीवन मिशन के ठेकों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुआ है, जिसके तहत अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से लगभग ₹979.45 करोड़ का घोटाला किया गया. जांच एजेंसी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत पूर्व मंत्री महेश जोशी को गिरफ्तार किया था. ED का मानना है कि जोशी उस समय जलदाय मंत्री थे और उनकी भूमिका संदिग्ध थी. इस हाई-प्रोफाइल मामले ने राजस्थान की राजनीति में उस समय बड़ी हलचल मचा दी थी.
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