Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर की सेवर सेंट्रल जेल (Central Jail Bharatpur) में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. जेल प्रशासन ने इस मौत का कारण तत्काल ही हार्ट अटैक बताया है, लेकिन भारतीय कानून और मानवाधिकारों के प्रावधानों के तहत, अब इस मामले की न्यायिक जांच (Judicial Inquiry) शुरू कर दी गई है.
संजय बिहारी हत्याकांड का दोषी था मृतक
मृतक कैदी की पहचान नरेश सिंघल (Naresh Singhal) के रूप में हुई है. नरेश सिंघल वह व्यक्ति था, जिसे क्षेत्र के बहुचर्चित संजय बिहारी हत्याकांड (Sanjay Bihari Murder Case) में दोषी ठहराया गया था. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की कठोर सजा सुनाई थी. एक हाई-प्रोफाइल मामले के दोषी का जेल के अंदर इस तरह अचानक दम तोड़ देना, स्वाभाविक रूप से कई तरह की अटकलों को जन्म दे रहा है.
जेल प्रशासन का बयान: 'हार्ट अटैक से हुई मौत'
सेवर जेल के अधीक्षक परमजीत सिंह संधू ने मीडिया को दिए अपने आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि नरेश सिंघल की मौत का प्राथमिक कारण हृदय गति रुकना (Heart Attack) है. अधीक्षक संधू ने बताया कि सुबह के समय कैदी की तबीयत अचानक बिगड़ी थी. जेल के अंदर मौजूद डॉक्टर स्टाफ ने तुरंत उसे फर्स्ट एड दिया, लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण उसे तत्काल भरतपुर के RBM अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर्स ने जांच की और नरेश सिंघल को मृत घोषित कर दिया. फिलहाल, शव को आरबीएम अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया गया है और अब आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
मौत संदिग्ध क्यों मानी जा रही है?
जेल अधीक्षक के 'हार्ट अटैक' वाले बयान के बावजूद, एक आजीवन कारावास के कैदी की जेल के अंदर हुई अचानक मौत हमेशा संदिग्ध मानी जाती है. भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 176 (1-A) के तहत, जब कोई व्यक्ति पुलिस हिरासत या जेल में मरता है, तो ऐसे मामलों में अनिवार्य रूप से न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जांच (Judicial Inquiry) का प्रावधान होता है. सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या नरेश सिंघल को जेल में पर्याप्त और समय पर चिकित्सा सुविधा मिल रही थी? अगर उन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी थी, तो क्या जेल प्रशासन ने उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड को गंभीरता से लिया था? आरबीएम अस्पताल तक ले जाने में कितना समय लगा, यह भी जांच का विषय है. मजिस्ट्रेट की जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या कैदी नरेश सिंघल किसी मानसिक तनाव, अवसाद या अन्य कैदियों/कर्मियों के साथ किसी विवाद में थे या नहीं.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और न्यायिक प्रक्रिया
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण कानूनी कदम पोस्टमार्टम (Post-Mortem) होगा. नरेश सिंघल का पोस्टमार्टम अब एक विशेष मेडिकल बोर्ड द्वारा किया जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई गड़बड़ी न हो, यह पूरी प्रक्रिया वीडियोग्राफी के तहत की जाएगी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत के सही कारण और समय का खुलासा होगा. यदि रिपोर्ट में हार्ट अटैक की पुष्टि होती है, तो भी न्यायिक जांच आगे बढ़ेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि हार्ट अटैक किसी तनाव या लापरवाही के कारण तो नहीं आया. मृतक के परिवार को अब न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने अपनी बात रखने और शक जाहिर करने का पूरा अधिकार होगा. यदि परिवार जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाता है, तो मजिस्ट्रेट उस दिशा में भी जांच को आगे बढ़ा सकते हैं.
संजय बिहारी हत्याकांड क्या था? समझिए
28 जनवरी 2023 को बेबी और नरेश सिंघल ने संजय बिहारी नाम के व्यक्ति को फोन कर अपने घर बुलाया था. जब संजय उनके घर पहुंचा तो वहां नरेश सिंघल, कृष्ण कुमार उर्फ बेबी और बिट्टू चाय पी रहे थे. संजय भी उनके पास जाकर बैठ गया. तभी अचानक बेबी वहां से उठकर अपने कमरे में गया और कट्टा लाकर संजय बिहारी को पीछे से गोली मार दी. इलाज के दौरान संजय बिहारी की मौत हो गई. 19 सितंबर 2025 को जिला एवं सेशन न्यायाधीश केशव कौशिक ने फैसला सुनाते हुए कृष्ण कुमार उर्फ बेबी पर 60 हजार रुपए जुर्माना और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वहीं नरेश सिंघल और बिट्टू पर 50-50 का अर्थदंड और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
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