Rajasthan: उदयपुर जिला प्रशासन की तरफ से शिक्षकों से जुड़ा हुआ एक अजीबो गरीब फरमान जारी किया गया है. इसमें शिक्षकों की ड्यूटी भेड़ निष्क्रमण कार्यक्रम के तहत लगा दी गई है. आदेश जारी होने के बाद से ही शिक्षक संगठन विरोध में उतर गए हैं. साथ ही इस आदेश को निरस्त करने की मांग उठाई है. उदयपुर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर वार सिंह ने यह आदेश जारी किया है.
10 कर्मचारियों की लगाई ड्यूटी
आदेश में लिखा कि भेड़ निष्क्रमण एवं नियमन वर्ष 2025-26 संबंधी कार्य के लिए नियन्त्रण कक्ष स्थापित किया जाता है. नियन्त्रण कक्ष में जुलाई से अग्रिम आदेशों तक रहेगा. इसमें कार्मिकों एवं सहायक कर्मचारी की सेवाएं तुरंत प्रभाव से इस कार्यालय के न्याय अनुभाग में अधिग्रहित की जाती है. इस आदेश में 10 कर्मचारियों को ड्यूटी लगाई है, जिसमें से 8 शिक्षक हैं.
शिक्षकों ने जताया विरोध
शिक्षकों का कहना है कि नया सेशन शुरू होने वाला है, शिक्षकों के पास में छात्रों और स्कूलों से जुड़ी हुई कई प्रकार के कार्य है. इसके बावजूद भी यह फरमान जारी किया गया है जिसे हम विरोध करते हैं. यही नहीं, सोशल मीडिया पर भी इस आदेश का पुरजोर तरीके से विरोध किया जा रहा है.
"शिक्षामंत्री आदेश पर रोक लगाएं"
राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान ने बताया कि विद्यालयों में हाल ही में नया सत्र शुरू हुआ है. बालक पढ़ना चाहता है, और शिक्षक बालकों को पढ़ाना, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाकर विद्यालयों की व्यवस्था बिगाड़ने पर उतारू है. शिक्षामंत्री को ऐसे आदेशों पर रोक लगानी चाहिए.
साथ ही शिक्षकों ने तो इस पर कविताएं भी लिख डाली है. सोशल मीडिया पर यह कविता काफी वायरल हो रही है.
"मास्टर जी की भेड़ों वाली पोस्टिंग"
घरवाले कहते थे..
"पढ़ ले भाया, नहीं तो भेड़-बकरी चरानी पड़ेंगी"
तो हमने भी दिन-रात एक कर दिया,
पढ़े, बढ़े, फिर रीट-RPSC सारी परीक्षाएं दी,
लाखों की भीड़ में खपकर
"गर्व से बोले, अब तो मास्टर जी बन गए. "
पर अब...?
अब प्रशासन की 'बुद्धि-विकास योजना' के तहत
भेड़ों की देखरेख की "ड्यूटी" लग गई.
बकरियाँ भी सोच रही होंगी...
"हमारे पास तो अब सरकारी शिक्षक आ गए. "
टीसी बाँटना, किताबें देना, वो तो,
"ग़ैर-शैक्षणिक कार्य" ठहरा,
पर भेड़ें गिनना, उन्हें नहलाना,
उनकी "प्रजनन दर" पर रिपोर्ट बनाना —
शुद्ध शैक्षणिक अनुसंधान घोषित हुआ है.
अब मास्टर जी सुबह न स्कूल जाएंगे,
न ब्लैकबोर्ड पकड़ेंगे,
बल्कि चरागाह की दिशा और भेड़ों की चाल
उनका नया पाठ्यक्रम होगा.
गणित पढ़ाऊं या गिनती भेड़ों की?
अब ये प्रश्न UPSC में भी आ सकता है..!
बच्चे स्कूल में बाट जोहेंगे,
मास्टर जी चरवाहा यूनिफॉर्म में,
कंधे पर लाठी लिए "ड्यूटी" निभाते घूमेंगे.
प्रशासन बोला...!
"शिक्षक हैं, अनुशासन के अभ्यासी हैं,
तो भेड़ों को लाइन में भी वही रख सकते हैं. "
भविष्य में शायद विद्यालयों में
विद्यार्थियों का नहीं,बल्कि,
गाय-बकरी बैच" बनेगा..!
एक ब्लैकबोर्ड, एक झुंड और एक झंडा,
हर मास्टर जी को मिलेगा..!
और तब, स्कूलों के बाहर लिखा जाएगा,
"यहां शिक्षा नहीं, चरवाही करवाई जाती है!"
डिग्री हो या लाठी,दोनों जरूरी हैं!
सरकारी शिक्षक होना अब शिक्षा देना नहीं,
जहां आवश्यकता हो,वहां भेजा जाना' है..
चाहे वो विद्यालय हो या चरागाह...!
अंत में अब तो यही कहना पड़ता है,
कि हम भेड़ें गिनते-गिनते बूढ़े हो जाएंगे,
मगर शिक्षा व्यवस्था के गुनाहगार ना कहलाएंगे..!
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