वायुसेना के फील्ड फायरिंग रेंज में गरजे तेजस, राफेल, सुखोई-30 लड़ाकू विमान, दुश्मनों देशों को वायु सैनिकों ने दिया सीधा संदेश

Roared Tejas, Rafale, and Sukhoi-30 MKI aircraft: युद्धाभ्यास में तेजस ,राफेल, सुखोई-30 एमकेआई व प्रचंड जैसे लड़ाकू विमान शामिल हैं. फाइटर जेटस के साथ-साथ ध्रुव हेलीकॉप्टर से देश के जाबाजों ने दुश्मन के विमानों को पर लक्ष्य साधकर उनके ठिकानों को मिटाने और विमानों की डॉगफाइट का अभ्यास किया.

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चांधन में वायुसेना की फील्ड फायरिंग रेंज में युद्धाभ्यास करते जांबाज वायुसैनिक

Fighter Aircraft Roared In Maneuvers: देश की पश्चिमी छोर पर भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर जैसलमेर के चांधन में वायुसेना की फील्ड फायरिंग रेंज में बुधवार को इंडियन एयरफोर्स ने वायु शक्ति युद्धाभ्यास की फुल ड्रेस रिहर्सल की. डे-नाइट में 'वायु शक्ति युद्धाभ्यास ' में 121 विमान शामिल है., इस दौरान वायु सेनिकों ने अपना दमख्म दिखाया.

युद्धाभ्यास में तेजस ,राफेल, सुखोई-30 एमकेआई व प्रचंड जैसे लड़ाकू विमान शामिल हैं. फाइटर जेटस के साथ-साथ ध्रुव हेलीकॉप्टर से देश के जाबाजों ने दुश्मन के विमानों को पर लक्ष्य साधकर उनके ठिकानों को मिटाने और विमानों की डॉगफाइट का अभ्यास किया.

रिपोर्ट के मुताबिक17 फरवरी को होने वाले वायु शक्ति युद्धाभ्यास का मुख्य कार्यक्रम होगा. इससे पहले बुधवार को इसकी फाइनल फुल ड्रेस रिहर्सल की गई. फायरिंग रेंज में बम-गोलों और मिसाइल के धमाकों की गूंज ने पड़ोसी देशों में बैठे नापाक इरादे रखने वालों के पैर कंपा दिए.

हर तीन साल में होने वाली इस युद्धाभ्यास में इस बार 77 फाइटर जेट, 41 हेलिकॉप्टर, 5 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सहित कुल 121 एयरक्राफ्ट व करीब 15 हजार वायु सैनिक हिस्सा ले रहे हैं.

युद्धाभ्यास के दौरान हवा में करतब दिखाते युद्धक विमान

वायुसेना के फील्ड फायरिंग रेंज में हो रहे युद्धाभ्यास में 121 एयरक्राफ्ट पिछले 15 दिन से अलग-अलग एयरबेस पर तैनात थे और अभ्यास कर रहे थे. बुधवार को चांधन फिल्ड फायरिंग रेंज में अंतिम अभ्यास के लिए जोधपुर सहित कुल 8 से 9 एयरबेस से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और इन बेस पर सुखोई, राफेल, तेजस, प्रचंड और ध्रुव हेलिकॉप्टर तैनात किए गए.

युद्धाभ्यास में मुख्यत: तेजस, प्रचंड व ध्रुव हेलिकॉप्टर स्वदेशी लड़ाकू विमान के रुप में तैनात है. वहीं, फाइटर जेट- राफेल, मिराज-2000, सुखोई-30 एमकेआई, जगुआर, हॉक, सी-130जे, चिनूक, अपाचे, एमआई-17 भी शामिल है. बेड़े का गरुड़ के साथ विभिन्न विमान भी इसमें हिस्सा ले रहे है.

वायुसेना कीफील्ड फायरिंग रेंज युद्धाभ्यास में करते विमान

स्वदेशी तेजस :-

500 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ रहे तेजस में 20000 फिट की ऊंचाई पर भी ईंधन भरा जा सकता है. इसमें 6 तरह की मिसाइलें तैनात हो सकती हैं. लेजर गाइडेड बम, गाइडड बम व क्लस्टर हथियार लगाए जा सकते हैं. यह एयर टू एयर मिसाइल ले जाने में सक्षम है.

तेजस की बनावट कार्बन फाइबर, टाइटेनियम और एलुमिनियम की है.जिसकी वजह से कम वजन का होने के बावजूद यह विमान ज्यादा मजबूत है. यह विमान स्वयं की रक्षा भी कर सकता है,जिसके लिए इसमें एक सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर लगा है, जो पूरी तरह से ऑटोमेटिक है. यह आसमान या जमीन से किंए गए हमले से विमान को बचाता है. एयर टु एयर रिफ्यूलिंग तेजस को सबसे खास बनाती है.

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कहा जाता है कि स्वदेशी लड़ाकू विमान 'तेजस' का कोई तोड़ नहीं है. इस विमान की स्पीड 2205 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह 50 हजार फिट की उंचाई तक उड़ान भर सकता है. वहीं एक बार उड़ान भरने के बाद यह 3 हजार किलोमीटर तक उड़ सकता है. 

अपाचे हेलीकॉप्टर:

अपाचे हेलीकॉप्टर की डिजाइन इसे सबसे खास बनाती है, क्योकि इसका डिजाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल है.इसे उड़ाने के लिए दो पायलट होना जरूरी हैं. हेलीकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं. इस वजह से इसकी स्पीड 280 किलोमीटर प्रति घंटा है.

अपाचे हेलीकॉप्टर एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है. अपनी खास डिजाइन के लिए मशहूर इस हेलीकॉप्टर के नीचे लगी राइफल में एक बार में 1200 गोलियां लोड की जा सकती हैं.

जगुआर :

लड़ाकू विमान जगुआर हाई-विंग लोडिंग डिजाइन की वजह से कम-ऊंचाई पर स्थिर उड़ान और हथियारों को ले जा सकता है. इसका निर्माण फ्रांस, बिट्रेन में बीईए और भारत में एचएएल करता है.इसके कुछ फीचर्स इसे सबसे अलग बनाते है. 30 एमएम के दो एडीईएन या डीईएफए गोले, हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.

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जगुआर एक सीटर विमान है.इसकी स्पीड भी इसके नाम को सार्थक बनाती है.यह 1700 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भरता है.हवा में मार करने वाले और हवा से जमीन पर हमला करने वाले रॉकेट समेत कई हथियार लोड हो सकते हैं.

चिनूक हेलिकॉप्टर ः

चिनूक हेलीकॉप्टर डबल इंजन फ्लाइंग मशीन भी खा जाता है. जानकारों के अनुसार यह विमान दुनिया के सबसे मॉडर्न हैवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर्स में से एक है. इसकी क्षमता 10 हजार किलो का वजन लिफ्ट करने की है. वहीं, यह किसी भी इलाके में किसी भी मौसम में दिन या रात में काम कर पाने की क्षमता रखता है. इनका इस्तेमाल सेना, आर्टिलरी, गोला-बारूद, इक्विपमेंट्स और फ्यूल को कैरी करने में होता है.

हर कंडीशन में काम आना चिनूक हेलीकॉप्टर की सबसे बड़ी खासियत है. यह मेडिकल बचाव, आपदा राहत, सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन, एयरक्राफ्ट रिकवरी, फायर फाइटिंग में जैसे स्पेशल ऑपरेशन में बेहद महत्वपूर्ण है. यह हथियारों से लैस सैनिकों को एक से दूसरी जगह पहुंचाने में सक्षम है.

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