देश को जात-पात की नहीं राष्ट्रवाद की जरूरत, मिलकर होगा विकसित भारत का सपना पूरा : दरगाह दीवान आबेदीन

अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स पर दरगाह स्थित खानकाह शरीफ (मठ) में देशभर की प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशींनो सूफियों एवं धर्म प्रमुखों की वार्षिक सभा को संबोधित किया.

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देशभर की प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशींनो सूफियों एवं धर्म प्रमुखों की वार्षिक सभा.

Ajmer News: अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स पर दरगाह स्थित खानकाह शरीफ (मठ) में देशभर की प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशींनो सूफियों एवं धर्म प्रमुखों की वार्षिक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारा देश भारत विकसित भारत, शशक्त भारत और आत्मनिर्भर भारत बनने कि ओर अग्रसर है. एसे में हमारे देश को जात-पात की भावना की नहीं बल्कि नई राष्ट्रवाद की भावना की ज़रूरत है. हमे जात पात धर्म से ऊपर उठकर भारत सरकार के साथ मिलकर विकसित भारत, सशक्त भारत का सपना पुरा करने में अपना योगदान देना चाहिए.

भारत आज पूरी दुनिया में एक कदम आगे है

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी विकसित देश की असल ताक़त वहां के लोगो में धर्म, जात-पात से ज़्यादा राष्ट्रवाद की भावना की होती है. क्योंकी आज भारत के बढ़ते हुए प्रभुत्व को पूरी दुनिया मान रही है. आज हर क्षेत्र में भारत दुनिया के हर देश के बराबर ही नहीं बल्कि उनसे एक कदम आगे ही है. चाहे हमारी चंद्रमा पर पहुंचने की उपलब्धि हो या फिर सूरज के रहस्यों को जानने की उपलब्धि हो. आज का भारत हर बड़े देश से आँख में आँख डाल कर बात करता है. भारत ने कोरोना के समय ना सिर्फ़ ख़ुद के नागरिकों को लिए बल्कि दुनिया के कई देशों को वेक्सिन देकर उन्हें संकट से बचाया है यह विकसित भारत होने की ज़िंदा मिसाल है.

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दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख ने देश के हर नागरिक से अपील करते हुए कहा कि हम अपने देश को विकसित भारत, सशक्त भारत बनते हुए देख रहे है यह हमारी खुशनसीबी है. मगर इसे 100% कामियाब बनाने के लिए धर्म जात पात से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की भावना से काम करना चाहिए और देश को मज़बूत करने में हर भारतीय को अपना योगदान देना चाहिए.

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इस पारंपरिक आयोजन में देश की प्रमुख चिश्तिया सिलसिले की दरगाहों के सज्जादगान व धर्म प्रमुखों ने भाग लिया. जिसमें मेहँदी मियां नियाजी बरेली शरीफ, मोहम्मद शब्बीरूल हसन गुलबर्गा शरीफ कर्नाटक, फ़रीद निजामी दिल्ली, सैयद तुराब अली हलकट्टा शरीफ आध्रप्रदेष, सैयद जियाउद्दीन दरगाह अमेटा शरीफ गुजरात, बादशाह  मियां जियाई जयपुर, सैयद बदरूद्दीन दरबारे बारिया चटगांव बंगलादेश, कर्नाटक गुलबर्गा शरीफ में स्थित ख्वाजा बंदा नवाज गेसू दराज की दरगाह के नायब सज्जादानशीन सैयद यद्दुलाह हसैनी, दरगाह सूफी कमालुद्दीन चिश्ती  के सज्जानशीन गुलाम नजमी फारूकी, नागौर शरीफ के पीर अब्दुल बाकी, सहित भागलपुर बिहार, फुलवारी शरीफ यु.पी., से लखनऊ, शफ़ीपुर काकौरी शरीफ, बरेली मुरादाबाद, उत्तराखण्ड प्रदेश से गंगोह शरीफ दरबाह साबिर पाक कलियर, दिल्ली स्थित दरगाह हजरत निजामुद्दीन, सहित देशभर के 100 सज्जादगान मौजूद थे.

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