प्रदेश में एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है, जिससे लगातार तीसरे दिन पूरे प्रदेश में 108 और 104 एम्बुलेंस सेवा ठप है. प्रदेश में एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल की वजह से मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग मरीजों को निजी एम्बुलेंस और गाड़ियों में लाने को मजबूर हैं.
हालांकि सरकार की ओर से एनएचएम के एडिशनल डायरेक्टर प्रियंका गोस्वामी ने एम्बुलेंस कर्मियों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की, लेकिन पहले दौर की वार्ता सफल नहीं हो सकी. एम्बुलेंस कर्मी ठेका प्रथा ख़त्म कर संविदा कैडर में शामिल करने की मांग पर अड़े हुए है.
महंगी निजी एम्बुलेंस लेने पर मजबूर मरीज़
हड़ताल की वजह से मरीज़ों को महंगी निजी एम्बुलेंस लेनी पड़ रही है. नावां से अस्पताल आए गुलाबचंद ने बताया कि, उनके भाई को लकवा मार गया,स्थानीय अस्पताल ने एसएमएस अस्पताल रेफर कर दिया. जब उन्होंने एम्बुलेंस के लिए पता किया तो बताया गया कि हड़ताल चल रही है, इसलिए एम्बुलेंस नहीं मिलेगी और मजबूरन उन्हें 4000 रुपए देकर एक निजी एम्बुलेंस को लेकर जयपुर आना पड़ा
3500 रूपए चुकाकर निजी एम्बुलेंस में जयपुर पहुंचा मरीज़
यही स्थिति दौसा से SMS अस्पताल आए सतीश की भी है, जहां पिता का इलाज करवाने आए एक पीड़ित ने बताया कि कई बार 108 पर कॉल करने के बाद जब एम्बुलेंस उन्हें नहीं मिली, तो थक हार उन्होंने 3500 रूपए देकर एक निजी एम्बुलेंस को लेकर जयपुर आना पड़ा.
मांगें नहीं मानीं तो मजबूरी में शुरू की हड़ताल
एम्बुलेंस कर्मी संघर्ष समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि एम्बुलेंस कर्मी 12-13 घंटे काम करते हैं, बदले में उन्हें उचित मानदेय नहीं मिलता. सरकार इन्हें संविदा पर बहाल कर ले, तो इन्हें उचित मानदेय मिलेगा और सरकार के जो पैसे कंपनी रखती है, वह भी बचेंगे. इससे पूर्व भी हमने अपनी मांगों से सरकार को अवगत कराया था, लेकिन उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए हम हड़ताल करने को मजबूर हुए है.