Jodhpur: 20 साल पहले पालने में मिली अनाथ बच्ची की धूमधाम से हुई शादी

करीब 20 साल पहले एक आश्रम के पालने में एक अनाथ बच्ची मिली थी. सामाजिक न्याय विभाग की ओर से उसकी सहमति से शादी करवाई गई. धूमधाम से हुई इस शादी में शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहें. 

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शादी की तस्वीर
जोधपुर:

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता विभाग की ओर से पिछले कई सालों से नारी निकेतन में रह रही अनाथ इंदु की शादी गुरुवार को धूमधाम से साथ कराई गई. 2017 में नारी निकेतन में आई इंदु ने यहां रहते हुए ग्रेजुएशन करने के साथ संगीत में भी महारत हासिल की. गुरुवार को विभाग की ओर से एक बेटी के विवाह समारोह जैसा भव्य आयोजन किया गया, जिसमें शहर के कई गणमान्य नागरिक शामिल हुए.

आश्रम के पालने में मिली थी इंदु

नवजात के रूप में लव कुश आश्रम के पालने में मिली इंदु का विवाह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और भामाशाह के सहयोग से धूमधाम से हुआ. नारी निकेतन में विनायक पूजन किया गया और घृत पान की रस्में भी निभाई गई. जिसमें भामाशाह पप्पू राम डारा शामिल हुए. इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीत गए विनायक पूजा की और इंदु को घी पिलाया गया. दोपहर बाद ओसिया से बारात नारी निकेतन पहुंची. निकेतन और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने बारात की अगवानी की. इस दौरान मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास भी वर वधु को आशीर्वाद देने के लिए मौजूद रहे. इसके अलावा शहर के कई गणमानय लोग भी इस विवाह में शामिल हुए.

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सहमति से करवाई गई शादी

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक अनिल व्यास ने बताया कि इंदु के विवाह के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने योग्य वर के लिए विज्ञप्ति जारी कर आवेदन लिए थे. जिसमें ओसियां के डाबरी निवासी मगाराम का चयन हुआ. नारी निकेतन की अधीक्षक रेखा शेखावत ने बताया कि इंदु हमारे यहां 2018 में आई थी. बालिग होने के बाद भी हम किसी युवती को ऐसे नहीं छोड़ सकते इसके लिए पुनर्वास करना होता है. इसके लिए सरकार से अनुमति लेकर नारायण निकेतन में विवाह करवाया गया है और इंदू ने भी इसके लिए अपनी सहमति दी थी.

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'यही लोग है मेरा परिवार'

इंदु को लव कुश आश्रम के पालना गृह में करीब 20 साल पहले कोई छोड़ा गया था. इसके बाद वह वहां इंदु पली-बढ़ी और 2018 में वह नारी निकेतन मंडोर में शिफ्ट की गई. यहां इंदु ने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. संगीत में भी उसने महारत हासिल की है. एक हाथ से दिव्यांग इंदु ने बताया कि निकेतन के सभी लोग मेरा परिवार है. इन सब ने मुझे हमेशा प्यार दिया. नारी निकेतन की अधीक्षक में मुझे तीन बार मेरे होने वाले पति से मुलाकात करवाई और उसके बाद मैंने हां भरी.

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