Lal Bahadur Shastri Jayanti: जब बांसवाड़ा आए थे शास्त्री, वागड़वासियों ने गिफ्ट में दी थी चांदी की रेल

आज के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) के मौके पर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से जुड़ा शास्त्री का एक रोचक किस्सा है. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में शास्त्री रेल मंत्री थे. उसी दौरान 10 जनवरी 1956 को बांसवाड़ा दौरे पर आए.

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Lal Bahadur Shastri Jayanti: पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) के मौके पर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के लोग एक खास किस्से को याद करते हैं. यह रोचक किस्सा शास्त्री के दौरे से जुड़ा है. जब वह बांसवाड़ा आए थे तो उन्हें चांदी की रेल भेंट की गई थी. इस प्रतीक चिह्न को भेंट करने के पीछे स्थानीय लोगों का एक खास उद्देश्य था. हालांकि वो सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ. दरअसल, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में शास्त्री रेल मंत्री थे. उसी दौरान 10 जनवरी 1956 को बांसवाड़ा दौरे पर आए. यह कार्यक्रम शहर के कुशलबाग मैदान में हुआ था. समारोह के लिए इस मैदान के बीच में बड़ा मंच बनाया गया था. जहां सभी समाज और बोहरा समुदाय के लोग भी मौजूद थे. 

सुखाड़िया की मौजूदगी में भेंट की थी रेल 

वरिष्ठ साहित्यकार भूपेंद्र उपाध्याय तनिक बताते हैं कि स्थानीय लोग क्षेत्र में रेल चाहते थे. अपनी इसी मांग को लेकर शहरवासियों ने एक योजना बनाई. कार्यक्रम के कुछ ही दिन पहले यह फैसला लिया गया कि बांसवाड़ा को रेल से जोड़ने की मांग उठाने के लिए उन्हें ऐसा स्मृति चिह्न दिया जाए, जिसे देखकर यहां की मांग का स्मरण हो उठे.

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स्मृति चिह्न भेंट करने के लिए गठित की गई थी समिति

इसके लिए समिति भी गठित की गई थी. इसी समिति ने चांदी की रेल भेंट करने का निर्णय लिया. जब शास्त्री दौरे पर आए तो स्वतंत्रता सेनानी धूलजी भाई भावसार ने पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया की मौजूदगी में चांदी की रेल भेंट की. आज भी शास्त्री जयंती के मौके पर बांसवाड़ा जिले के लोग इस किस्से को विशेष रूप से याद करते हैं.

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रेलवे परियोजना का शिलान्यास होने के बाद योजना ठंडे बस्ते में

आज भी यहां के लोगों को रेल का इंतजार है. आज से 13 साल पहले 3 जून 2011 के दिन डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेलवे परियोजना का शिलान्यास हुआ था. तत्कालीन गहलोत सरकार के दौरान यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शिलान्यास किया था. योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से 200 करोड़ रुपए भी दे दिए गए थे, लेकिन 2013 में चुनाव के बाद इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जिसके बाद से ही यहा रेलवे परियोजना का काम ठप्प हो चला हा है. जिला मुख्यालय पर उप मुख्य अभियंता कार्यालय भी बंद हो गया. राज्य सरकार ने पुन: इस परियोजना को शुरू करने का आश्वासन दिया है.

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