Khatu Shyam: खाटूश्यामजी मंदिर की 13 सीढ़ियों का रहस्य, जहां से दर्शन करने से होता है बाबा श्याम से सीधा नेत्र-संपर्क

Khatu Shyam Birthday Date 2025: सन 1027 ई. में जब मंदिर का निर्माण हुआ, तब मुख्य द्वार से गर्भगृह तक पहुँचने के लिए 13 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थीं. यही एकमात्र रास्ता था जिससे भक्त बाबा के दर्शन करते थे. 14 नई लाइनों की व्यवस्था की, लेकिन आज भी चार लाइनें वही पुराना मार्ग हैं जिनसे होकर भक्त 13 सीढ़ियां चढ़कर दर्शन करते हैं.

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Khatushyamji News: सीकर जिले के खाटूश्यामजी में बाबा श्याम का प्राचीन मंदिर स्थित है. धार्मिक ग्रंथों और इतिहास के अनुसार राजा रूप सिंह चौहान और उनकी धर्मपत्नी नर्मदा कंवर ने ई. सन 1027 में इस मंदिर का मूल निर्माण करवाया था. तभी से चौहान वंशज इस मंदिर की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं और आज भी वे मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख संरक्षक हैं.

बाबा श्याम को कलयुग में अनेक नामों से जाना जाता है, कोई उन्हें हारे का सहारा कहता है, तो कोई तीन बाणधारी या मोर मुकुट बंसी वाले के नाम से पुकारता है. भक्तों की मान्यता है कि बाबा श्याम अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं और संकट के समय उनका सहारा बनते हैं.

महाभारत के वीर बर्बरीक से खाटूश्याम तक

बाबा श्याम का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. उस समय वीर बर्बरीक नाम का एक शक्तिशाली योद्धा था, जिसे भगवान शिव से तीन अद्भुत बाण प्राप्त थे. उसने अपनी मां को वचन दिया था कि वह युद्ध में हमेशा हारने वालों का साथ देगा. लेकिन जब भगवान कृष्ण ने उसकी वीरता और संकल्प देखा, तो उन्होंने ब्राह्मण का वेश धारण कर उससे दान में उसका शीश मांग लिया. बर्बरीक ने निःसंकोच अपना शीश दान कर दिया. तब भगवान कृष्ण ने अपने विष्णु स्वरूप में प्रकट होकर आशीर्वाद दिया कि कलयुग में वह श्याम नाम से पूजे जाएंगे.

कृष्ण के आशीर्वाद से वीर बर्बरीक आज कलयुग में बाबा श्याम के रूप में पूजे जाते हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा के चरणों में माथा टेकता है, उसकी व्यथा शीघ्र दूर होती है. यही कारण है कि हर वर्ष लाखों श्रद्धालु खाटू धाम में बाबा के दर्शन के लिए आते हैं.

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रहस्यमयी 13 सीढ़ियों का महत्व

सन 1027 ई. में जब मंदिर का निर्माण हुआ, तब मुख्य द्वार से गर्भगृह तक पहुँचने के लिए 13 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थीं. यही एकमात्र रास्ता था जिससे भक्त बाबा के दर्शन करते थे. समय के साथ जब भीड़ बढ़ी, तो श्री श्याम मंदिर कमेटी ने जिला प्रशासन की मदद से 14 नई लाइनों की व्यवस्था की, लेकिन आज भी चार लाइनें वही पुराना मार्ग हैं जिनसे होकर भक्त 13 सीढ़ियां चढ़कर दर्शन करते हैं.

भक्तों की मान्यता है कि 13 सीढ़ियां चढ़कर दर्शन करने से बाबा श्याम से सीधा नेत्र-संपर्क होता है, जिससे वे अपने दुख-दर्द कह सकते हैं और बाबा तुरंत राहत देते हैं. हालांकि मंदिर कमेटी का कहना है कि यह केवल भक्तों की अवधारणा है, बाबा श्याम सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, चाहे कोई भी द्वार या मार्ग क्यों न हो.

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