Great Indian bustard: गोडावण को बचाने की जदोजहद फिर लाई रंग, ब्रीडिंग सेंटर में 'टोनी' ने दिया नन्हे चूजे को जन्म

2019 में अंडे से निकली मादा का नाम अफ्रीकी मूल की पहली अमेरिकी लेखिका टोनी मॉरिसन के नाम पर रखा गया, क्योंकि उसी दौरान नोबल पुरस्कार विजेता टोनी मॉरिसन का निधन हुआ था. DNP के DFO आशीष व्यास ने बताया कि इस सीजन का ये तीसरा चूजा है.

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पैदा हुआ चूज़ा

Jaisalmer News: विलुप्त होते गोडावण को बचाने के लिए विभाग द्वारा की जा रही जदोजहद अब रंग ला रही है.जैसलमेर में सम गांव स्थित सुदासरी के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर मेंमादा गोडावण टोनी के एक अंडे से नन्हे चूजे ने जन्म लिया है.गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में अब गोडावण की संख्या दिनों दिन बढ़ते बढ़ते 32 हो गई है. वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह सबसे अधिक खुशी की बात है कि सरकार के द्वारा बनाए गए इन ब्रीडिंग सेंटर में GIB का कुनबा बढ़ रहा है.

GIB को बचाने की जद्दोजहद की शुरुआत जैसलमेर में सम में ब्रिडिंग सेंटर बनाकर हुई थी,जिसके तहत वर्ष 2019 में जंगल में मिले एक अंडे से एक मादा गोडावण ने जन्म लिया था. सम स्थित ब्रीडिंग सेंटर में टोनी मॉरिसन नामक मादा गोडावण के अंडे से बाहर आया चूजा विशेषज्ञों के ऑब्जर्वेशन में है और पूरी तरह स्वस्थ है. सम के बाद अब पिछले साल रामदेवरा में भी ब्रिडिग सेंटर शुरु किया गया है,जंहा 13 GIB विशेष देख रेख में पल रहे है. यहां जंगल में मिले अंडों को विशेषज्ञों कि देखरेख में पाला जाता है और उन अंडों से गोडावण का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. 

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बढ़ रहा गोडावण का कुनबा 

GIB के अंडों से अब तक 32 गोडावण हो चुके हैं, जिनमें 4 इन्ही गोडावण की मेटिंग से बच्चे निकले हैं. 1 चूजा पिछले साल और इस साल 3 चूजे अंडे से बाहर आए हैं. इनमें अब 19 गोडावण सम ब्रीडिंग सेंटर में और 13 रामदेवरा स्थित गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में है. दरअसल,डेजर्ट नेशनल पार्क के DFO आशीष व्यास बताते है कि ब्रीडिंग सेंटर में लगातार गोडावण का कुनबा बढ़ता जा रहा है. सुदासरी स्थित गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में गुरुवार को टोनी नामक मादा ने लियो नामक मेल गोडावण से मेटिंग के बाद दिए अंडे से चूजा बाहर आया है.

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अब तक 32 पहुंची गोडावण की संख्या 

2019 में अंडे से निकली मादा का नाम अफ्रीकी मूल की पहली अमेरिकी लेखिका टोनी मॉरिसन के नाम पर रखा गया, क्योंकि उसी दौरान नोबल पुरस्कार विजेता टोनी मॉरिसन का निधन हुआ था. DNP के DFO आशीष व्यास ने बताया कि इस सीजन का ये तीसरा चूजा है.इस तरह अब गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में गोडावण की संख्या लगातार बढ़ते हुए 32 तक पहुंच गई है.

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गोडावण ब्रीडिंग सेंटर की बड़ी उपलब्धि 

गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में 8 गोडावण के विशेषज्ञ ब्रीडिंग और गोडावण की देखभाल का काम करते हैं. वहीं उनके दर्जन सहयोगी भी यही काम करते है. गोडावण के लिए वेटेनरी डॉक्टर भी मौजूद रहते हैं और उनकी ही मेहनत का नतीजा है जो देखने को मिला है,यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. डेजर्ट नेशनल पार्क में बनाए गए हैचरी सेंटर में अंडों को वैज्ञानिक तरीके से सेज कर उनसे चूजे निकलवाए जा रहे हैं. आपको बता दें कि यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से कृत्रिम होती है और यह कृत्रिम प्रजनन केन्द्र कई मायनों में सफल साबित हो रहा है.

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