जिले से लगती भारत-पाक की सीमा के के पास स्थित करीब 1200 साल पुराने ऐतिहासिक चमत्कारी तनोट मातेश्वरी मंदिर में कल से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. जिसको लेकर मन्दिर में जोर शोर से तैयारियां की जा रही हैं. बीएसएफ के जवानों द्वारा दिन रात मेहनत करते हुए पूरे मन्दिर परिसर को सुसज्जित किया जा रहा है. सीमावर्ती क्षेत्र होने की वजह से तथा श्रृद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए तनोट में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है. सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ पुलिस कर्मी तैनात है.
भारत-पाक के 1965 और 71 के युद्ध का गवाह रहा मंदिर
पश्चिमी सीमा के निगेहबान जैसलमेर जिले की पाकिस्तान से सटी सीमा बना बना यह तनोट माता का मंदिर अपने आप में अद्भुत मंदिर हैं.सीमा पर बना यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र के साथ-साथ भारत-पाक के 1965 और 71 के युद्ध का मूक गवाह भी है. ये माता के चमत्कार ही है जो आज इसे श्रद्धालुओं और सेना के दिलों में ख़ास जगह दिलाये हुए है. नवरात्र के दिनों में तनोट माता की आरती और हरे रोज़ हवन के कार्यक्रम होंगे. बीएसएफ के जवान अधिकारियों ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शनों अन्य व्यवस्थाओं के लिए खास प्रबंध किए हैं.
नवरात्रों में सुबह 6 बजे, दोपहर 12 और शाम 6.45 बजे होगी आरती
भारत-पाक के बीच 1965 और 1971 युद्धों के साक्षी रहे ऐतिहासिक चमत्कारी तनोट मातेश्वरी मंदिर शारदीय नवरात्र के लिए सजधज कर तैयार है.बीएसएफ के जवानों द्वारा तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. सुविधाओं के तहत पीने की प्याऊ उपलब्ध होगी. श्रद्धालुओं के लिए खास तौर पर एक मेडिकल कैंप भी शुरु किया जा रहा है जो 9 दिन चलेगा. प्रतिदिन श्रद्धालुओं के लिए भंडारा भी चलाया जाएगा. मातेश्वरी तनोट राय के मन्दिर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नवरात्र में सुबह 6 बजे, दोपहर 12 तथा शाम 6.45 बजे आरती होगी.अभी भारत-पाक के हालात को देखते हुए सुरक्षा चक्र को मजबूत किया गया है.
BSF ने की पूरी तैयारियां
सीमा सुरक्षा बल राजस्थान सीमांत मुख्यालय के महानिरीक्षक पुनीत रस्तोगी ने बताया कि नवरात्रा के लिए बीएसएफ ने तैयारियां पूर्ण कर ली है. प्रत्येक वर्ष नवरात्रि पर तनोट में एक लाख श्रद्धालुओ के लिए भोजन की व्यवस्था भी BSF द्वारा निशुल्क की गई है. मंदिर में धर्मशाला की तैयारी के लिए बीएसएफ ने अपने पूरे प्रयास किया हैं साथ ही स्थानीय प्रशासन के साथ सम्पर्क में रहकर श्रद्धालुओं को बेहतर व्यवस्थाए मिल सके.
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