ग्रामीणों के अंदर जगा रहा शिक्षा की अलख, तो युवाओं के सपनों को आकार दे रहा यह पुस्तकालय

बांसवाड़ा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक झोपड़ी में सामुदायिक पुस्तकालय चल रहा है. आज यह पुस्तकालय सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए रुचि का केंद्र बन गया है.

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सामुदायिक पुस्तकालय

Birpur Community Library News: जनजाति जिले बांसवाड़ा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तो सरकारी स्तर पर कई परिवर्तनकारी कदम उठाए जा रहे हैं. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो खुद के बूते लोगों को शिक्षा से जोड़ने का जुनून रखते हैं. कुछ ऐसा ही जुनून बांसवाड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत बीरपुर के छोटे से गांव मेदिया डिंडोर में देखने को मिला. यहां एक झोपड़ी में चल रहा सामुदायिक पुस्तकालय स्कूली विद्यार्थियों और अभिभावकों को रास आ रहा है.

"सोपड़ा नू घेर" ( किताबों का घर)  नाम के इस नवाचार में अब ग्रामीणों की सहभागिता में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है. वीरपुर ग्राम पंचायत के गांव मेदिया डिडोर में करीब 4 माह पहले राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के वरिष्ठ प्रबोधक विजय प्रकाश जैन ने ग्रामीणों के सहयोग से सामुदायिक पुस्तकालय सोपड़ा नूं घर की शुरुआत की थी.

ग्रामीणों के दिनचर्या का हिस्सा बना ये पुस्तकालय 

आरंभ में कुछ लोगों की संख्या के साथ शुरू इस सामुदायिक पुस्तकालय में अब ग्रामीणों की भागीदारी बढ़ी है. प्रतिदिन सुबह इस पुस्तकालय में आना कई ग्रामीणों की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया है. वहीं विद्यार्थियों की संख्या भी उत्साहित करने लगी है. जैन ने बताया कि गांव में सामुदायिक पुस्तकालय आपड़े सौपडा नं घर की शुरुआत विकास हिन्डोर के घर से की थी. इसका उद्देश्य पढ़ने की आदतों का विकास करने और पढ़कर देश-दुनिया को समझने-समझाने का रहा. शुरुआत में हिंदी, अंग्रेजी और वागड़ी की लगभग 170 पुस्तकें जन सहयोग से एकत्र की गई. आज यह पुस्तकालय सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए रुचि का केंद्र बन गया है.

शिक्षा के प्रति बढ़ रही जागरूकता

सोपड़ा नूं घेर पुस्तकालय को समृद्ध बनाने में शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों के साथ ही जागरुक लोगों का निरंतर सहयोग मिल रहा है. कई संगठनों ने समय के साथ जुड़कर इस संस्था को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए हैं. जैन के अनुसार प्रतिदिन स्कूल खुलने से पहले बच्चे अपने घर से पहले सोपड़ा नूं घेर पहुंचते है. वहां समाचार पत्र, पुस्तकें आदि पढ़ते हैं. इससे वे सम-सामयिक विषयों को भी जान रहे है और नया सीख रहे हैं. गृहस्वामी विकास डिंडोर सहित अन्य का भी पूरा सहयोग मिल रहा है, जिससे यहां संग्रहित पुस्तकों की अच्छे से रखरखाव किया जा सकती है.

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