इस बार मंत्रिमंडल में जिले से नहीं बने एक भी मंत्री, कभी मंत्रियों से गुलजार रहता था झालावाड़

मंत्रिमंडल के गठन में साफ तौर पर नजर आ रहा है कि वसुंधरा राजे सिंधिया को दरकिनार किया गया है. ऐसे में झालावाड़ और बारां जिलों में किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाए जाने के पीछे भी यही कारण साफ तौर पर दिख रहा है.

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फाइल फोटो
झालावाड़:

राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला झालावाड़ (Jhalawar) जिला इस बार पूरी तरह मायूस है, क्योंकि जिले को मंत्रिमंडल में कोई स्थान नहीं मिला है. यहां तक की वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje Scindia) जो दो बार की मुख्यमंत्री हैं, उनके भविष्य को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं है. इससे झालावाड़ के भाजपा कार्यकर्ताओं में काफी निराशा का माहौल है.

क दौर ऐसा भी था जब झालावाड़ जिला मंत्रियों से हमेशा गुलजार रहता था. वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते उनके दोनों कार्यकालों के दौरान झालावाड़ जिले में मंत्रियों की भागदौड़ लगी रहती थी. 

कंवरलाल मीणा पर थी उम्मीद

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह के संसदीय क्षेत्र से भी मंत्रिमंडल में किसी को जगह नहीं मिली है. झालावाड़ और बारां में कुल आठ विधानसभा सीटे हैं, जिसमें से एक भी विधायक मंत्रिमंडल में जगह बनाने में कामयाब नहीं हो पाएं. जबकि ऐसा माना जा रहा था कि दूसरे जिले में जाकर कांग्रेस के मंत्री प्रमोद भैया को हराने वाले कंवरलाल मीणा को तो मंत्रिमंडल में जगह मिल ही जाएगी.

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मंत्रिमंडल के गठन में साफ तौर पर नजर आ रहा है कि वसुंधरा राजे सिंधिया को दरकिनार किया गया है. ऐसे में झालावाड़ और बारां जिलों में किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाए जाने के पीछे भी यही कारण साफ तौर पर दिख रहा है.

यह है जिले की स्थिति

झालावाड़ जिले में यदि भाजपा की सीटों पर मजबूती की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में यहां तीन सीट भाजपा के कब्जे में है, जिसमें से एक पर वसुंधरा राजे सिंधिया काबिज हैं जबकि कांग्रेस को खानपुर विधानसभा सीट 20 साल बाद जीतने का मौका मिला है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा था कि वसुंधरा राजे सिंधिया को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी. यहां के दो विधायक जो लगातार दूसरी बार जीते हैं उनमें से किसी एक को मंत्रिमंडल में भी स्थान मिलेगा, साथ ही डग विधायक कालूराम मेघवाल और मनोहर थाना विधायक गोविंद रानीपुरिया भी खाली हाथ रह गये.

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