Ranthambore Tiger Attack:'यह मौत नहीं हत्या है' रणथंभौर में टाइगर ने किया 7 साल के बच्चे का शिकार, डोटासरा बोले- पूरा सिस्टम बिखर गया है 

Ranthambore: बुधवार को रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर में अपनी दादी के साथ दर्शन कर लौट रहे साथ साल के बच्चे को बाघिन ने झपट्टा मार कर अपना शिकार बना लिया था.

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प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस घटना को 'हत्या' बताया है

Ranthambore Tiger Attack: राजस्थान के सवाई माधोपुर रणथंभौर टाइगर रिजर्व में गणेश मंदिर के रास्ते में एक बाघ ने बुधवार (16 अप्रैल) को 7 साल के बच्चे को अपना शिकार बना लिया था. त्रिनेत्र गणेश मंदिर से लौटते वक्त 7 साल का कार्तिक सुमन अपनी दादी के साथ जंगल से गुजर रहा था, तभी एक बाघ ने अचानक हमला कर दिया. बाघ बच्चे को मुंह में दबाकर जंगल में ले गया और काफी देर तक शव पर बैठा रहा.

अब इस मामले पर सियासत भी हो रही है. राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस घटना को 'हत्या' बताया है. डोटासरा ने कहा कि भाजपा सरकार का शासन पूरी तरह 'कोलैप्स' कर चुका है. 

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उन्होंने 'एक्स' पर ट्वीट करते हुए लिखा, ''रणथंभौर में 7 साल के कार्तिक की मौत नहीं, हत्या हुई है, जिसकी ज़िम्मेदार सरकार है. त्रिनेत्र गणेश मंदिर के पास कई दफा बाघ को देखा गया था, स्थानीय लोगों ने वीडियो बनाकर वन विभाग को आगह किया, लेकिन बावजूद इसके सरकार सोती रहीं. नतीजतन द्वारका माली जी के कलेजे का टुकड़ा चला गया लेकिन इनको कोई परवाह नहीं.''

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''कोई सुनने और देखने वाला नहीं है''

उन्होंने आगे कहा, '' भाजपा की डबल इंजन सरकार में केंद्र से राज्य तक अलवर का बड़ा प्रतिनिधित्व है, लेकिन हालात बद से बद्तर हैं. हर जगह आवारा कुत्तों का आतंक हैं, लेकिन कोई सुनने और देखने वाला नहीं है. माननीयों.. ढाई साल का मासूम किस पीड़ा से गुजर रहा है उसके माता-पिता से पूछो. भाजपा के राज में स्वास्थ्य सेवाओं का सिस्टम तो भगवान भरोसे है. राजस्थान की जनता ने बड़ी उम्मीद से भाजपा को सत्ता सौंपी थी, लेकिन ये लोग सिर्फ लूट-खसोट और कुर्सी के लालच में एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं. जनता से इन्हें कोई सरोकार नहीं है.

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दर्शन से लौट रहा था बच्चा

बुधवार को बूंदी के देहीखेड़ा थाना क्षेत्र में गोहटा का निवासी 7 वर्षीय सुमन अपने चाचा और दादी के साथ रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर में दर्शन के लिए आया था. दर्शन करने के बाद बच्चा परिवार के साथ मंदिर से वापस लौट रहा था. बच्चा दादी के आगे-आगे चल रहा था. इसी दौरान जंगल से बाघ निकलकर आया और झपट्टा मारकर बच्चे को उठा ले गया. वहां पर मौजूद लोगों ने बच्चे को बाघ से छुड़ाने की काफी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं सके.

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